गांधी पत्र नेहरु के नाम | Gandhi Patra Nehru Ke Nam

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Gandhi Patra Nehru Ke Nam by महात्मा गाँधी - Mahatma Gandhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बनोगे या अध्यापकी करोगे ? प्रेम सहित, तुम्हारा मो० क० गांधी 19 सितम्बर, 1924 प्रिय जवाहरलाल, | तुम्हें स्तब्ध नहीं होना चाहिए, बल्कि हर्ष मनाओं कि ईश्वर तुम्हें अपना कर्तव्य पालन करने का बल ओर आदेश दे रहा है। मैं और कुछ कर ही नहीं सकता था। असहयोग के प्रवर्त्त की हैसियत से मेरे कन्धों पर भारी जिम्मेदारी है। लखनऊ और कानपुर में क्या छाप पड़ी, यह मुझे जरूर लिख भेजो। मुझे यह प्याला पूरा पी लेने दो। मुझे पूर्ण आन्तरिक शान्ति है। प्रेम सहित तुम्हारा मो० क० गांधी 12 नवम्बर, 1924 मेरे प्रिय जवाहरलाल मुझे यह बात जरूरी लगती है कि हमारे पास हिन्दू और मुसलमान _ कार्यकर्ताओं की एक द्वुतगामी टुकड़ी होनी चाहिए जो क्षणभर की सूचना पर प्रभावित क्षेत्रों में जाँच के लिए जा सके। हमें सदा प्रतिष्ठित व्यक्तियों के ही जाने की राह नहीं देखनी चाहिए। उदाहरण के लिए कल जो मामला तुम्हारे पास भेजा गया है उसे ही लो। यदि उसमें दिये गये बयान ठीक है, तो अपराधियों का पर्दाफाश हो जाएगा। यदि वे झूठे हैं तो समाचारपत्रों के संवाददाता दोषी सिद्ध होंगे। जाँच कार्य तुरन्त और मुकम्मिल होने चाहिए। मैं महादेव को इस काम के लिए तैयार कर रहा हूँ और प्यारे लाल को भी इसके लिए राजी करना चाहता हूँ, जो अनावश्यक रूप से झिझक रहा है। क्‍या मंसूर अली यह काम करेंगे ? उन्हें इसके लिए उजरत दी जा सकती है। उन्हें पारिश्रमिक लेने पर कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए। उनके चर्खे के काम में बाधा पड़ने की जरूरत नहीं। उनका कार्य क्षेत्र संयुक्त प्रान्त तक ही सीमित रघा जा सकता है, यद्यपि भँ तब तक इस प्रकार के प्रतिबन्ध लगाने की तर्जीह न दूँगा। जब तक हमें इस क्षेत्र में काम 15




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