श्री मुहम्मदबोध और काफिरबोध | Shree Muhammadbodh Aur Kaafirbodh

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Shree Muhammadbodh Aur Kaafirbodh by खेमराज श्री कृष्णदास - Khemraj Shri Krishnadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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বসত बोधंसागंर। ( ६८७) (नवी सुहम्मद्‌ बन्दगी कीना । दृशं पाय মী ভীভীনা ॥ तहँते फिरि मृत्यु लोक॑चलि आये। निजमान कहे पानह पाये ॥ तुंम आपने कील भरे देंहों। पीछे पान जीवको पेहो ॥ सांखी-शब्द मरोंसें नामके, दिया नवीको पान॥ : “ प॑ हम सुचि मानि ई, जब फिर मिलोगे आन ॥ भ कबीर वंचन-चौपाई 1... तमे अपने एरभान चरै. । खेद को मेद्‌ तुम धरो छिपाईै॥ जो यहभेदं तम परकर कैरिद । तौ तुम कोल के बाहर परिहो ॥ -चासेः कमा प्रकट भाखो । पचवाँ कर्मा गुप्त जो रासो ॥ पचवाँ कलमा इल्म फकीरी । जाके पढे कुफ दो दूरी॥ हम्‌ काशीं जात रै . महि । तबलो तुम अपनो कौर वजाई॥ तुम पंर दाया समरथ केरी । पाचों कर्मा दिलमे फी ॥ सालीं-इम काशी को जात है, तुम मक्के अस्थान ॥ ` ` , हम रामानन्द गुरु करें, तुम देओ जगत फरमान ॥ ' फ्रमान जगत को दीजिये, उलटी अदल चलायी। तुम कलमा का इक्मरे, नि्ैय निशान बजाय ॥ इति श्रीबोधक्षागरे कवीरधमेदास सम्बादे मुहम्मद बोध वर्णनोनाम नंवमस्तेतरंगः । । | अथ ग्रन्थसार । यंत्रापि साधारणतः देखनेमैं यह'अथ भी झुंसरूमानी धर्म के प्रवेतेक झ॒हंम्मंदंकी कंवीर सांहिबकें बोधदेनेका देंख पडता है तथापि इसका भी अथे - आंध्यात्मिकहीहें क्‍यीं कि। हस्म द साहब फै जीवन चारेच में लिखाहै कि;इनके माता पिता ^




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