श्री मुहम्मदबोध और काफिरबोध | Shree Muhammadbodh Aur Kaafirbodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)বসত बोधंसागंर। ( ६८७)
(नवी सुहम्मद् बन्दगी कीना । दृशं पाय মী ভীভীনা ॥
तहँते फिरि मृत्यु लोक॑चलि आये। निजमान कहे पानह पाये ॥
तुंम आपने कील भरे देंहों। पीछे पान जीवको पेहो ॥
सांखी-शब्द मरोंसें नामके, दिया नवीको पान॥
: “ प॑ हम सुचि मानि ई, जब फिर मिलोगे आन ॥
भ कबीर वंचन-चौपाई 1...
तमे अपने एरभान चरै. । खेद को मेद् तुम धरो छिपाईै॥
जो यहभेदं तम परकर कैरिद । तौ तुम कोल के बाहर परिहो ॥
-चासेः कमा प्रकट भाखो । पचवाँ कर्मा गुप्त जो रासो ॥
पचवाँ कलमा इल्म फकीरी । जाके पढे कुफ दो दूरी॥
हम् काशीं जात रै . महि । तबलो तुम अपनो कौर वजाई॥
तुम पंर दाया समरथ केरी । पाचों कर्मा दिलमे फी ॥
सालीं-इम काशी को जात है, तुम मक्के अस्थान ॥ ` ` ,
हम रामानन्द गुरु करें, तुम देओ जगत फरमान ॥ '
फ्रमान जगत को दीजिये, उलटी अदल चलायी।
तुम कलमा का इक्मरे, नि्ैय निशान बजाय ॥
इति श्रीबोधक्षागरे कवीरधमेदास सम्बादे मुहम्मद
बोध वर्णनोनाम नंवमस्तेतरंगः । ।
| अथ ग्रन्थसार ।
यंत्रापि साधारणतः देखनेमैं यह'अथ भी झुंसरूमानी धर्म
के प्रवेतेक झ॒हंम्मंदंकी कंवीर सांहिबकें बोधदेनेका देंख पडता
है तथापि इसका भी अथे - आंध्यात्मिकहीहें क्यीं कि। हस्म
द साहब फै जीवन चारेच में लिखाहै कि;इनके माता पिता
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