मोक्षमार्ग - प्रकाशक भाग २ | Mokshmarg Prakasak Part Ii

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mokshmarg Prakasak Part Ii by श्रीमान ब्रह्मचारी सीतल प्रसाद - Shriman Bramhchari Seetalprasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीमान ब्रह्मचारी सीतल प्रसाद - Shriman Bramhchari Seetalprasad

Add Infomation AboutShriman Bramhchari Seetalprasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(११) वोकेट दो भतीजे ह जिनको यह पूत्र प्तमान ही मानते हैं और उन्दी पाप्त रहते पहते ओर साति पीते दँ । यह दोनों भाई बड़े झुयोग्य, सुपात्र, सुशीक और घमेप्रेमी सज्जन हैं | ये भपने पूज्य चचानीको कमी किप्ती धर्मेकाये या द्रव्य दान करनेमें बाघ% नहीं होते । न उनके घनकी कभी इच्छा करते हें, क्‍योंकि पुण्योदयसे यहांक्री बिरादरीमं उनका घर चोटीका गिना जाता है। निम्तप्रकार बह दोनों भाई भक्तनीकों पितातुल्य मानकर तत्परतासे सेवा करते हैं वेसे ही उनकी पृज्य मातानी और घमैपत्रियां भी इनकी यथा- योग्य टहल करनेमें कभी घभालघ्य नीं मानवीं । यद्यपि वृद्धावस्थामें उत्पन्न होनेवाले रोगोंके कारण अवश्य मक्तनीका शरीर अस्वस्थ और चित्त खेदखिन्नप्ता रहता है तो भी इनकी धमेप्ताघना ओर दानवृत्तिमे कोई शिथिकता नहीं भाई ই। एकवार श्री ० ब्रह्मचारी सीतढप्रप्तादनी यहां पघारे थे, उनके उपदेश्े भापने बह्मचारीनी द्वारा संपादित श्री मोक्षमाग प्रकाशक द्वितीय भागको मुद्रित कराके नेन मित्रके ३६ वें वर्षके ग्राहकोंको भेट देनेकी स्वीकारता देते हुये कद्ठा कि 'स्वृ० पं० टोडरमरमीके कथनके शेषांशका जेन समानमें प्रचार होनावे ओर मोक्ष मागेका सच्चा स्वरूप प्रकाशित हो-यह मेरी आंतरिक भावना है ।” तद- नुस्तार यह ग्रन्थ भापकी ओरसे छपाया गया है | परतिप्रमय हमारी मनोकामना यदी षै ङि मक्तनी चिरायु हो ओर घरमध्यानमे विरोष ढीन रहे । ता० १९-११-३२. -भोछानाथ दरखशा, बुलन्दशहर।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now