नव पदार्थ ज्ञानसागर | Nav Padarth Gyansagar

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Nav Padarth Gyansagar by पुफ्फ जैन भिक्खु - Pushp Jain Bhikkhu

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“६! 9११४ কই) ०१५१ টে ২৬ ৫৯৬ पंक्ति च) চি ० के 11 এই ५७ 41 -५* ০661 761 ० चिप নু बक | £ ] অন্য উম্বনান २ जीवपर भागा नाम गुप्रिपरियह, अय भावपर म्रकाश मोहनीय कमके परिणाम नपुंसक छि सिद्धिः यथाप्रकृत्तिकरण पतल्योपम अनन्तावार उचगात्र १ जीवक লামা नाम कर्म गुभिपरिपह जय भाव पर प्रकाश मोहनीय कर्मके अभावसे शुद्ध चारित्र, आयुक्र्मके अभाव से अटछ अवगाहना,नामकम के अभाषस अमृतिकदा, गोत्रकरमके अभावते অহা लघ॒त्व परिमाण नपुंसक लिंग सिद्धि? गांगेय जंसे, यथाप्रत्तिकरण पल्योपम अनन्त वार




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