चार ऐतिहासिक एकांकी | Char Etihasik Ekanki
श्रेणी : काव्य / Poetry, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मनोविकासे का क्रमिक परिवर्तन शरोर उसकी नियताप्ति एकाकी नारक
में होना अनिवार्म है। बादल की झृस्य! को छोड़कर शमकुमार के
अन्य सभी नाटकों में इन आवश्यक नियमों का पालन किया गया है
ओर एकांकी नायकों के ज्षेत्र में यही लेखक की सफलता है ।
भ्रेश॒मी गदः के वाद् डा० वर्मा ने भारतीय विचार-बारा को इष्ट
में रखते हुए एकाड्छी नाटक-साहित्य में अनेक प्रयोग किए हैं। उन्होने
ऐसे आदशवाद की प्रतिष्ठा की है, जो जंबन की, व्यावहारिकता से
ओत-प्रोत होकर नैतिक दृष्टि स जनता के लिए कल्याणकारी है।
सांस्कृतिक दृष्टिकोण से वे अपने ज्षेत्र में प्रसाद और प्रेमचंद के समक्
रखे जा सकते ह; क्योकि , उन्हने भारतीय इतिदास के चरित्रों का
विश्लेपण कर उनमें ऐसी प्राण-प्रतिष्ठा को है जो ऐतिहासिक सत्य से
आओत-पोत-होते हुए भी जीवन के स्पन्दन से सजीब है। “चारुमिन्ना! और
“विभूति' में संकज्ञित उनके नाटक इस वात के प्रमाण हैं कि ऐतिहासिक
तथ्यों के साथ जीवन*का उन्मेपकारी, महत्व कहाँ तक प्रत्तिफलित हो
सकता है। इस भारतीय आदश के साथ-ही-साथ जीवन की समस्त
स्वाभाविकता उनके नाटकों का प्रधान अंग है। यही कारण है कि
उनके नाटक अभिनय की दृष्टि से कमी असफल नहीं होते। -
डाक्टर वर्मा का ज्षेत्र विशेष रूप से ऐतिहासिक और सामाजिक है।
इने दोनों विभागों में मनोविज्ञान उसी प्रकार ओत-प्रोत है जैसे किसी
बल्न के अन्णरगंत कपास । समस्त जीवन-'को किसी एक घटना में,बॉघ
कर कुतूहलता के,साथ चरम-सीमा का निर्माण करना वर्मा जी की
अभिनय-कला का मापदंड है। उनके पात्र पदऋतुओं की-भाँति अपने
क्रम और आगमन में नैसर्तिक ओर- स्वाभाविक हैं। घटनाओं में न
ई अनावश्यक पात्र है और न उसका आगमन ओर प्रस्थान ही बिना
सरथ कार्ण के होता ह}. कथावस्तु जीवन की किसी घटना से बल
संचय करती हुई उस चरम सीमा, तक पहुँचती है, जहाँ जीवन का सत्य
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