जैन धर्म का मौलिक इतिहास (प्रथम भाग) | Jain Dharm Ka Maulik Itihas (Pratham Bhaag)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( शरण ) राजकुमार जमालि की दीक्षा ২০৯ केवलीचर्या का तृतीय वर्ष = ४०६ जयन्ती के धामिक प्रश्त न ४०६ भगवान्‌ का विहार और उपकार भ - ४०७ केवली चर्या का चतुथं वपं বি ४०७ शालिभद्र का वैराग्य ४० केवलीचर्या का पचम वपं . ४०६ ` संकटकाल मे भी कत्परक्षा्थं कल्पनीय ` त्तकं का परित्याग ... ४०६ केवलीचर्या का छठा वषं । = ~+ कर पुद्गल परिव्राजक को वोध_ , ४ ४१० केवलीचर्या का सातवां वषै <~ `, ,४१० कैवलीचर्या का आठवा वषं , :--(.. 7. .: ४१२ केवलीचर्याकानवम वषे ,- --, ~; “+ .. ४१२ .केवलीचर्या का दशम वर्ष === = হৃদ ` करेवलीचर्या का ग्यारहूवां वषं ~ ,, ˆ .. ०१. ४१४ स्कदक कै प्रष्नोत्तर « ,, ~ = ~ ४११ केवली चर्या का वारहूवां वषे , ~ ~ , ५१६ केवली चर्या का तेरहूवा वषं ` ५ , ४१७ केवलीचर्या का चौदहुवां वर्षं ॥ ४१७ काली आदि रानियोको वोध ५७७५, , , 7, -डश्८ , केवली चर्या का पन्द्रहुवां वपं र ৮৪৪. शद गोशालक का श्रानन्द मुनि को ^ भयभीत करना পচ है, ७४ সহি आनन्द मुनि का भगवान्‌ से समाधान :-,, ~` ४२० गोशालक का आगसन हु ২০ सर्वानुभूति के वचन से गोशालक का रोप : . ५ ष्च गोशालक की अन्तिम चर्या “४२३ शंका समाधान 167 = » সনি भगवान्‌ का विहार ग ~ , „५, . '४२५ भगवान्‌ की रोग-मुक्ति ष्पे) हि ४२६ চা कुतकेपूरों भ्रम , ১১5 টু ४२७ गौतम की जिज्ञासा का समाधान ~ 1. ४३२ केवलीचर्या का सोलहवा वर्ष ; , - ४३२ ~ केशी-गौतुम मिलन ५४ « ४३३ - शिव राजधि .., ২, »« ४३६




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