अभिलाष माधुरी | Abhilash Madhuri

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
337
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about त्रेलोक्यनाथ शर्मा - Trelokyanath Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)* श्री औराघारमणों जयति #
॥ जबगोर ॥
अभिटाष माधुरी |
वधाशरमण्चस्णकमदेभ्यो नम्: । श्री इष्णयेतन्यपादददूमेभ्यो नमः ।
अभिखाघ् मुरी रुलितकिरोरौ विरचिता प्रारभ्यते ।
अथ क्किय शुंगार शतक ।
दोहा ।
करुणालय गौराड़ के, पदसरोज सुखरास ।
दीजै इन अँखियांन को, सेवा्कुंज निवास ॥ १ ॥।
राधागोविंद प्राण है चरणपद्य सुखधाम ।
करुणाकरि मुहि दीजिये, निष्ुवन में विश्राम ॥ :
पद् पंकज तुव दरस को, अचियां भई विदाल ।
डरी रहों वन कुंज में, राधावब्लमलाल ॥ ३ ॥
जुगल चेद्र मुख लखन को, नेना भये चकोर ।
ललित किशोरी बोलिये, वृन्दावन की और ॥ ४
अति अज्ञान अयान हों, ना जानों विधि सेव ।
चूक किशोरी माफ़ करि, श्रीवन मारग देव ॥ ও
जुगलबिहारी दरस को, रहि रहे जिय अकुछाय
कृपा कोर दग देरिये, औबिन बेगि बुलाय ॥ ६ ॥
ब्रजरज अंग परसाइये, ठलितकिशोरी श्याम ।
नैनन सण सरसाइये ओ्रीवृन्दाबन धाम ॥ ७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...