अभिलाष माधुरी | Abhilash Madhuri

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Abhilash Madhuri  by त्रेलोक्यनाथ शर्मा - Trelokyanath Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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* श्री औराघारमणों जयति # ॥ जबगोर ॥ अभिटाष माधुरी | वधाशरमण्चस्णकमदेभ्यो नम्‌: । श्री इष्णयेतन्यपादददूमेभ्यो नमः । अभिखाघ् मुरी रुलितकिरोरौ विरचिता प्रारभ्यते । अथ क्किय शुंगार शतक । दोहा । करुणालय गौराड़ के, पदसरोज सुखरास । दीजै इन अँखियांन को, सेवा्कुंज निवास ॥ १ ॥। राधागोविंद प्राण है चरणपद्य सुखधाम । करुणाकरि मुहि दीजिये, निष्ुवन में विश्राम ॥ : पद्‌ पंकज तुव दरस को, अचियां भई विदाल । डरी रहों वन कुंज में, राधावब्लमलाल ॥ ३ ॥ जुगल चेद्र मुख लखन को, नेना भये चकोर । ललित किशोरी बोलिये, वृन्दावन की और ॥ ४ अति अज्ञान अयान हों, ना जानों विधि सेव । चूक किशोरी माफ़ करि, श्रीवन मारग देव ॥ ও जुगलबिहारी दरस को, रहि रहे जिय अकुछाय कृपा कोर दग देरिये, औबिन बेगि बुलाय ॥ ६ ॥ ब्रजरज अंग परसाइये, ठलितकिशोरी श्याम । नैनन सण सरसाइये ओ्रीवृन्दाबन धाम ॥ ७




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