आचाराड्ग सूत्र खण्ड 2 | Acharang Sutram Shruts khand 2

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Acharang Sutram Shruts khand 2   by श्री आत्माराम जी - Sri Aatmaram Ji

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

आचार्य प्रवर - aacharya pravar

No Information available about आचार्य प्रवर - aacharya pravar

Add Infomation Aboutaacharya pravar

आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj

No Information available about आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj

Add Infomation AboutAatmaram Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रथम अध्ययन, इद्देशक १ ७४९ निकल পপ ~ ~~~ ~ ~~ ~ ~ ~ ~~ ~= ------ ---- ---------------------~--- ~ साधु को आहार स्वीकार करता चाहिए। परन्तु ढस समय कैसा आहार स्वीकार करें १ इसका समाधान करते हए सूत्रकार कहते हैं-- मूलम्‌-से भिक्छु भ॒ भिक्‍्खुणी वा गांहावहकुलं प्डिवायपडियाए यणुपविद्टे समश से जं पुण जाशिन्ना- द्रसशं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पाणेहिं वा पणगेहि वा वीएहि वा हरिएहि बा संघत्तं उम्मिस्सं सीयोदश्ण वा ओसित्तं रयसा वा परिधासियं वा तहप्पगारं अ्रसणं वां पां वा खाइम वा साइम॑ था परहत्यंसि दा परपायंसि वा अफासुय॑ अशेसणिज्जंति मन्‍नमाणें लाभेडवि संते नो पडिग्गाहिज्जा। स य ्राहच्च पडिगदै सिया से तं यायाय एगंतमवक्कमिज्जा एगंतमवक्कपित्ता यहे श्रारामंसि द अहे उवस्सरयसि वा अप्पंडे अप्पपाणें अपबीए अप्पह्ररिए अपोसे अप्पुदए अप्पुत्तिग पणुगदगमट्टियमक्कड़ासंताणए विगिचिय २ उम्मीस विसोहिय २ तथो संजयामेव भुंजिज्ज वा पीडृव्ज बा, जं च्‌ नो संचाइज्जा भुत्तर वा पायए वा से तमायाय एगंमतबक्क-- मज्जा, अहे कामथंडिलंसि वा थट्विटरात्तिसि वा किट्टरा-- सिसि वा तुसरासिसि वा गोमयरासिसि वा अन्नयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिलेहिय पडिलेहिय. पमज्जिय--




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now