वायुविज्ञान | Vayuvigyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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दूसरा अध्याय 1 १३
गिरेगा, क्योंकि वायु का दबाव काग़ज़ के नीचे को
श्रोर से राक रहा दै, र कागज पानी के । वायु
का दवाव चारों ओर एक समान है ।
<--अब यदि कोई ऐसा प्रश्न करे कि यह बात कैसे ज्ञात
हुई कि वायु का वेभक इच्च भर जगह में ७॥ सेर है ? हवा
कै शन्त तक कभी केर गया नी, घर वायुका भी इका
करके तुछा में ताल सकते नहीं, फिर हवा का वेक अवगत
हुआ ते क्यों कर ? सच है, नोचे से ऊपर तक के वायु के
इकट्ठा करके तुसा म खाकर तेठना संभवनीय नहीं है, परन्तु
चायु का ताल जानने फो अन्य रीतियाँ हैं, प्रा उनसे तुला की
अपेक्षा चिशेषतर सत्यतां के साथ वायु का भार शात है|
सकता है }
एक झुका हुई काच की नलिका ६) इस आकार को
का, प्रोर उसके पानो से भरे, ते। देने नलियें में पानी
घरावर उँचाई में रहेगा । दूसरो नही इसी आकार की
ले, इसमें एक और पानी भरे! ग्रौर दूसरी ओर काई तेल,
जो पानी से हलका दवा । तेल पानी से दलका होता है इस
लिए यह पानी से कुछ उँचा रहेगा ! इसी आकृति की
तीसरी नछी में एक ओर थोड़ा सा पारा डालो प्रोर दूसरो
ओर पानी 1 पारे का वे पानी से विशेष है इसलिए पानी
ऊँचा रहेगा। इन तीनों नलिकाओं पर विचार करने से स्पष्ट
भकरट होगा, कि हलकी प्रोर भारी चीज़ों के डील डील तथा
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