वायुविज्ञान | Vayuvigyan

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Vayuvigyan by राष्टकूट रामसिंह - Rashtkut Ramsingh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र] | ৬১ ५२०; 01414588815 27 05 (145৩ अ + ১০৫, दूसरा अध्याय 1 १३ गिरेगा, क्योंकि वायु का दबाव काग़ज़ के नीचे को श्रोर से राक रहा दै, र कागज पानी के । वायु का दवाव चारों ओर एक समान है । <--अब यदि कोई ऐसा प्रश्न करे कि यह बात कैसे ज्ञात हुई कि वायु का वेभक इच्च भर जगह में ७॥ सेर है ? हवा कै शन्त तक कभी केर गया नी, घर वायुका भी इका करके तुछा में ताल सकते नहीं, फिर हवा का वेक अवगत हुआ ते क्यों कर ? सच है, नोचे से ऊपर तक के वायु के इकट्ठा करके तुसा म खाकर तेठना संभवनीय नहीं है, परन्तु चायु का ताल जानने फो अन्य रीतियाँ हैं, प्रा उनसे तुला की अपेक्षा चिशेषतर सत्यतां के साथ वायु का भार शात है| सकता है } एक झुका हुई काच की नलिका ६) इस आकार को का, प्रोर उसके पानो से भरे, ते। देने नलियें में पानी घरावर उँचाई में रहेगा । दूसरो नही इसी आकार की ले, इसमें एक और पानी भरे! ग्रौर दूसरी ओर काई तेल, जो पानी से हलका दवा । तेल पानी से दलका होता है इस लिए यह पानी से कुछ उँचा रहेगा ! इसी आकृति की तीसरी नछी में एक ओर थोड़ा सा पारा डालो प्रोर दूसरो ओर पानी 1 पारे का वे पानी से विशेष है इसलिए पानी ऊँचा रहेगा। इन तीनों नलिकाओं पर विचार करने से स्पष्ट भकरट होगा, कि हलकी प्रोर भारी चीज़ों के डील डील तथा च. নি পি सनि শি ৫০ ০৯ के ध ০৯৫




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