प्रतिनिधि राजनीतिक विचारक | Pratinidhi Rajneetik Vicharak

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Pratinidhi Rajneetik Vicharak by आर. एल. सिंह - R. L. Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ प्रतिनिधि राजनीतिक विचारक ब्ल्पनातोकीय ससार में स्यित होने के कारण ध्लेटो के आदर्धवादी पद्षा को स्पष्ट ऋरता है । यही बाद के आदर्शवादी विचारक होगल आदि की विधारधाराओं का आपार बना 1 २. मंहिकता (8001८8--रिपब्लिक के दूसरे प्रकरण मे नैतिवतावादी विचार प्राप्त होते हैं। उसमे प्लेटो ने मानव बात्मा के विविध ग्रुणों भी विवेषता को है जिन्हे न्याय द्वारा आदर्श णोवन को उपलब्धि में सहाययः बनाया णा सकता है। ३. शिक्षा सम्बन्धी (200०७॥०७३।)--प्लेडो के मूल विचार आदर्श राज्य पी स्थापना और दार्शनिक झासक के तिर्माण के लिये इस पुरतक में विशेष परादयत्रम युक्त शिक्षा पद्धति प्रस्तावित की गई! दस शरण यह्‌ चन्देह्‌ होने लता है कि यह्‌ शिक्षा शास्त्र पर रचा गया प्रन्ध है। ४. परिवार एवं सम्पत्ति (6801) 600 [০০/)- হাঅনীরি হালে सम्दन्धी प्रवरुण में प्लेटो आदर्श समाज एवं शज्य बी आधारभूत संस्षा सम्पत्ति और परिवार पर विचार करता है । ५. भाद र्य (१९५ 51०15}--मादषं राज्य की ऐतिहासिक विवेचनां करते हुए प्लेटों ने मह बताया कि इतिहाप्त के परिवर्तन की प्रत्रिया कया है; किए प्रकार आदर्श राज्य निरु राज्य भें परिवर्तित होता है । इस प्रभार हम कह शते हैं कि रिपब्लिक एक ऐसा प्रय दै जिसे अन्तत मानव शा की धासखा-प्रशास़।ओ का सम्पूर्ण चित्रण विविषता राहित किया गया है । रिपब्लिक इस फोधि का ग्रत्य है जिसमे नीतिशास्त्र, अप॑ास्त्र, राजनीतिशास्त्र, शिक्षा धारण, मनाविजश्ञान तथा दक्ष॑न का सुन्दर समावेश हुआ है । रिपब्लिक को कला, संगीत और दर्शन वा अनूठा, संयम यह कर पुकारा जाता है। मह भी एक विधारणीय प्रए्त है कि एक ही प्रन्य में इन विभिन्न शास्त्रों का समावेश क्यो हुआ ? इसका षु कारण यद ह कि उरा रामय पर दत शास्त ल पृषवयूयक सीमकत नहीं था, णो कि उन्हें बाद में प्रदान विया गया । इशका दूसरा कारण भी है दिः मगर राज्यों में जीवन इतता अधिक विकृशित नहीं हो पाया था, जितना वह आज दिसाई देता है। व्यक्ति ধী ধলা, ঘদ আহি भागरिकता से सम्बन्धित ये अतः शान के विविध सूपो षरा प्रयोग आदर्श नागरिव जीवन बी सुष्टि के लिये साथनों के रूप में विया जाता था। प्तेटो फे लान प्रोर गृण सम्बन्धो विचार (013०8 (रसा ज पछ द्द इद ४८८४९) रिपब्लिक में व्लेटों में शान और गुण पर विघार किया। यह गुकरात दारा युरू दब्द थे, जिन्हें प्लेटो ले विगसित बरते हुए व्यत्त विया। सर्वप्रथम प्लेटो से ই গ্রহন प्रस्तुत जिया कि अच्छा” (0906) जया होता /ै ? उत्तर देते हुए फोटो ने यताया कि 'सत्य' अध्छा होव॥ है । शत्य हमारे विचार जगत वी वस्तु है जो विश्व के प्रयेक पदाये से विसो ने किगी रुप में अवश्य रहता है । शु प्लेटो ने रारय को अच्छा का मवंव्यापक तत्य निपाति कर्ते हुए एक धन्व प्रइन प्रस्तुत किया कि अच्छा मनुष्य कौन होता है ? यूवान ने नगर राग्यों में राग्य का नायरिव ही अष्छा मनुष्य समझा जाता था। जया मनुष्य वो दिसी भी प्ररारए से अच्छा बनाया जा सदता है ? प्लेटो ने इसका सपप्टीकरण मद दिया कि मनुष्य को




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