चिंता मुक्त कैसे हों? | Chinta Mukta Kaise Hon?

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_ जानरिक्सन अपनी डेस्क पर साधारण पत्थर का एक टुकड़ा रखते थे जिस पर लिखा रहता था- आज। हालाकि मेरे मेज पर इस प्रकार का कोई पत्थर नहीं है यद्यपि मैं हर रोज दादी बनाते समय दर्पण में अपनी सफेद दाढ़ी को देखता हू। मैंने वहा पर भारत के महान कवि कालिदास की यह कविता लिखकर लगा रखी है सर ओसलर भी इस कविता को अपने मेज पर रखते थे- ण अभिनन्दन आज का स्वायत करो। यही जीवन है/ जीवन का सार है कातक्-कण्तित्त छी सी शिवि दास्तेविकताए् इसी मे उिहित है। कर्म का गह्मत्य है और तिद्धि का वैमव हैं। भूत तो केवल एक सपना है भविष्य कोरी कल्पना सुखी वर्तत स ही. श्रत के सखी सतार की रवव होती है और इससे ही आने वाला कल आशानय बन जाता है इमलिए आप का शत से स्थायत करो वही उग्च के लिए हमार स्वाय है हमार प्ररियान है। चित्रा के जानने के लिए सबसे पहली बात तो यह है कि यदि आप इसे अपने जीवन से दूर रखना चाहते हैं तो वही करे जो विलियम ओसलर ने किया था- भूत और भविष्य को लोहे के कपाटों में बद कर दीजिए और केवल आज के हालात को देखिए और नीचे लिखे प्रश्नो को कागज पर लिखकर इनके उतर भी लिखते है- 4. वा मैं भविष्य की चिता मे था ? या अतरिक्ष की कल्पना के स्वर्ग के आनन्द तो नहीं ले रहा था ? २ बीत हुई बाता से दु खी होकर क्या मैं अपने वर्तमान के सुर्खा को तो नष्ट नहीं कर रहा २ 3 क्या मैं अपने जीवन को सुख और शातिमय बनाने का निश्चय करके ही सुबह उठता हू ? 4 क्‍या आज मैं आज के हालात के साथ अपने जीवन से कुछ अधिक ঘা सकता हू ? 5 इस काम को मैं कब शुरू करूगा ? अगले सप्ताह ? कल ? आज आज आज़ आज |




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