महान शिक्षा दार्शनिक के रूप में आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य | Mahan Siksha Darshnik Ke Roop Mein Adya-Jagadguru Shankaracharya

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महँ शिक्षा दार्शनिक के रूप में आध जगद्गुरु Shankaracharya by भीष्म दत्त शर्मा - Bhishm Dutt Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डॉ० राम লাঘ হালা र 4, 2 2101 (4), 29 708 (7४६४0), “अचंना' सिविल ताईन रव्यब्रश' € मल्यव ०/ ४९ 20९90 , मेर $ शहर 81627110901, 2271 पाश्चात्य दिक्षा दर्शन के विकल्‍प नही तो पूरक के रूप मे भारतीय शिक्षा दर्शन दा अपना एक विशिप्ट स्थान हैं। समकालीन भारतीय शिक्षा दर्शम के क्षेत्र में पिछते दशक में कुछ जोध प्रथ प्रकाशित हुए हैं। इसके प्राच्य मृग स्रोत को समझने के लिये प्राचीन भारतीय भिक्षा दरशन को जानना आवश्यक है। किन्तु इस क्षेत्र में अभी बहुत कम হীণ- कार्य हुआ है। डा० भीष्म दत्त शर्मा ने श्री शकराचायं कै दिक्षा दर्शन को व्यवस्थित रूप से उपस्थित करके इसी कमी को पूरा किया है। पुस्तक प्रामाणिक स्रोतों पर आधारित है । पुस्तक की भाषा शुद्ध, प्रवेहमय, किन्तु सरल है। आशा है कि इस पुस्तक का शिक्षा एव दर्शन दोनो ही क्षेत्रों में भारी स्वागत होगा और यह प्राचीन भारतीय शिक्षा दर्शन के क्षेत्र में अनुसधान का भार्ग प्रशस्त करेगी | # --राम नाय शर्मा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश दर्शेन परिषद्‌




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