श्रम - अनुशासन एवं औद्योगिक परिवाद | Shram - Anushasan Evam Audyogik Parivad
श्रेणी : अन्य / Others, कानून / Law
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
किशन सिंह - Kishan Singh
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कृष्ण दत्त शर्मा - Krishna Dutt Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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स्यायो प्रादेश वनाना-
काम या छेदा वी शर्ते “स्थायी धादेश” (ইতি पां) मे तिस्तिटोतौरहै 1 एम्ब लपि
राज्य सरकार ने * धादश ( मॉडल ) स्थायों फ्रेश” बताय हैं, जिनके झ घार पर मालिक খাই
प्रादेश का प्राहूप (ड्राफ्ट) बनावर प्रमाए।कक्न গণিক্াহী (06110170006) বীজ নান
के भीतर भीतर पेश बरेगा । जिस वह नियमानुसार एतहाज प्रादि सुनकर प्रमाणित वरेगा।
इस प्रमाणित स्थायी भ्रादेश वी एक प्रति (हापी) मालिक घपने उद्योग में सव दो सूचनार्थ
छटकायेगा । ऐसा नहीं करने बाले मालिक पर घारा १३ के प्रघीन २०० रु प्रतिदिन तक जुर्माता
किया जा सकता है।
३ स्थायी प्रादेश मे परिवर्तत या सशोघन--
एक वार स्थायी झांदेश बना देने के छ माह तक उनमे कोई परिवर्तन नहीं হীনা। बाद में
मजदूर व मालिक दोनों के सम्रमौते से इनमें सशोघत्र हो सकंगे, जिन्हे फिर पे प्रमाणाविन घषिकारों
“पि नियमानुसार प्रमाणित करवाना होगा ॥
३. स्थायी प्ादेशों के लागू होने या प्र करते के बारे में सम्बंधित श्रम स्थायालय का निणय
मान्य होगा ।
४ स्थायी धादेश में जिम शर्तों कौ सम्मिलित किया जावेगा, वे प्रनुमूची मे एस प्रकार बताये
गये हैं घोर नियमों की प्रनुसूची में नभूने के रूप मे दिये गये हैं--
(१) कामगारकावर्भोकरण।
(२) काम के घष्टे, समय, छट्टी, वेहन का दिन, सजदूरी को दरें-इतकों कामगार
को सूचना देता ।
(३) पारो का कायक्रम 1
(४) द्वाजिरों घोर देर से घाता ।
(২) ভূত 0৩৪১০) घोर भ्रवकाश ([1011039) के लिये शर्में, पर्जी देने का
ठरीबा, मन््दूरों देने वाले घ्रचिक्रारी 1
(६) उद्योग में भाने के फाटक, तलाशी प्रादि को शर्तें ॥
(७) उद्योग या उपके भागों को নাহ करना या वापस सोलता-पस्वाई रूप ते
काम बन्द केरना--इस्ते उत्पस्त मालिक व सजदूर के प्रधिकार धौर मांगें 1
(८) नौकरी समाप्त करना प्रोर उसके तिये पूवा (नोटिस) देना ।
(९) दुराचश्ण दे कारण मोमत्तिषीया वर्ास्तयों दुराबरण माने जने वाले
बाय या भूले +
(१०) भानि या उसके प्रतिनिधियों द्वारा प्रन्यायपूर्णा गराये तपा ध्नुद्दित स्यवद्धार
हे दिदद्ध कामगार को मदद के साघत |
(११) भस्प बातें, जो बलित की जावे ।
डैद्रीय तियमों को धनुसूची (१) में जो सेवा था काम को शरों दो गई है, उनमें राज्यों के नियमों
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