श्री भागवत दर्शन खण्ड ७९ | Shri Bhagwat Darshan [ Khand - 79 ]

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Book Image : श्री भागवत दर्शन खण्ड ७९  - Shri Bhagwat Darshan [ Khand - 79 ]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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, गौता-पहासम्य [ १४ ) गीताचतुर्दशोउष्यायः. स्वर्गसोपानसंश्ञकः । ১৯২ [~ ९. पादपाठकपकेन अज्ञोष्पि स्वर्गति लमेत्‌ ॥» (भरण दण ब्र.) ল্য अब यीता 'अ्रध्याय चौदहवें को भहात्म चुनि। यने म बसति तिहि पठ करे नित्त वत्स महामुनिं वियि को हो इक शिप्य पाठ सो करें सदोँ ई घोये तानें पेर कीच थत्ष मई त्तहाँई॥ नप कुतिया ता नें गिरिः शशक संग दौज मरे। বীজ पुरेषु कूः गये, दिव्य रूप धारने करे॥ सब अंगों में सभी देवता बस गये । पेरों में कोई देवता नहीं चसा । भगवान्‌ विष्णु को आने में कुछ देर हुई देवताश्ों से चुछा--“हम कहाँ নী?) * देवताशों ने वहा--'भगवतु ) श्रव तो सभी अ्रंगों में भिन्न- हू गीता का चौदहवाँ भध्याय स्वर्ग की सोपान 'ही है। उसके पक कन वे पक ॐ श्यो जत्य को कोच से अरं चदु ने भी स्वभ लाम्‌ करिया। = ५ 3१




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