मानवधर्मसंहिता | Manav Dharm Sanhita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
858
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूचीपत्, ११
3५५०५ ९ १५ ०७०७००७, ५७ ६०७ ০ ५ ५ मम १ ० ^^ = + খান ^
६--चिकित्साविधा-वेबकेऊप्षण-पीभारकीहिफाज-
त«भजीणे-कोपह द्धि-खुनीबवासीर वगेरारोगके
मिटानेकाउपाव,श्लौकों रक्तविकारशांत होकर
गर्भस्थितिहानेकी चिकित्सा-औरतकों-और-
पिर्देकों किसतरह शरीरकी रक्षा करना-सपेके
काटनेपर आरापहोनेकी चिकित्सा, ३०६-३३०
( तरंगद्सरेकाबयान,)
!.-स्व॒रो दपज्ञान, । ११३१-३४१
/“योगशाखत्रका वर्नन, ५
,-मूये -ओर-चदनादीचसतेवरत -क्याक्याङरना == +,
म नर्वङी पहिषान-पाणावाम, 7
२--अष्टांगनिपित्त, ३१४१-१९ १
४ मैंगफुरकनेका फछ !!
পাক্কা কল १
# “धरविज्ञन-मनुप्य पश्ु-ओर पश्तीकीबोली सेंशभा शुभ...
-जर्मीनकंपनेका फल, १
४“ दे श-नगर- आर ग्रापोपरजब आफदआनेवाली }
हों-क्याक्या बनावबन, 1
»--अकरक्चपेधुप्रकेतुका उदय-उस्कापात-भर-
वारोकाखिरना,
2
११
शरीरे तिण मपे-ओंर लहसनका फ ५)
॥“हयपाँवेकी रेखाका फल, ११
२... शकुनशास्र, १९२-२९६
३.कालब्ञान, ~ न ~ ०» «०» ««» ““रैरै६०४०२े
User Reviews
No Reviews | Add Yours...