सैफुल मुलूक व् बदीउल जमाल | Saifool Muluk V Badiool Jamal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
271
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५
जो है रहनुमा पीर हैदर तेरा
हम अल्लाह वहे हम पेग़म्बर तेरा
ज कुच ख़्वास्त तेरा है सब उस पू छोड़
दुनिया के इलाक़े ते ले दिल कू तोड़
न कर एतमाद इस गुज़र गाह का
यू फोट है दरवेश होर शाद् का
संभाल अपें ऐ यार इस दाम ते
১
नकी ग़ाफ़िल अछ आपने काम ते
ऐसा प्रतीत होता है कि 'वूतीनामा' की रचना के बाद ग़वासी अपना अ्रधिक
समय 'इब्ादत” में लगाने लगा आर दरबार में कम आने जाने लगा | संभवतः इसी
से इतना बड़ा शायर होने पर भी तत्कालीन इृतिहासों और फलतः बाद के तज़किरों
में इसके जीवन पर बहुत कम प्रकाश डाला गया । ग़वासी की मृत्यु किस सन् में
हुई; इसके सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है किन्तु इतना निश्चित है कि सुल्तान
अब्दुल्ला कुत॒ुबशाह के शासन काल में ही इसकी मृत्यु हो गई ।
काव्य और शेडी ;
ग़वासी की दो स्वनाएं उपलब्ध हैं :---
१ सेफुल मुलूक व बदीउलं अमाल
२ तूनीनामा
दकन में उदू के लेग्बक ने ग़वासी की कुछ गज़लों आर मर्सियों की भी चचों
की है और उनके उदाहरण अपनी पुस्तक म॑ दिए हैं ।
उपयुक्त दोनों पुस्तकें फ़ारसी-मसनवियों की प्रणाली पर लिखी गई हैं और
उनमें प्रेम कथाओं का वर्णन है | फ़ाःसी मसनवियों के अनुसार इन पुस्तकों में पहले
खुदा की प्रार्थना; पेग़ंबर की तारीफ़; खलीफ़ा की प्रशंसा ओर तत्कालीन बादशाह के
संबंध में लिखा गया है ओर उसके बाद कहानी का प्रारंभ किया गया है । पहली
पुस्तक की कहानी पर आगे के प्रृष्ठों में विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया हे ।
तूतीनामा की कहानी निम्नांकित है ;---
भारतवर्ष में एक बड़ा धनी सौदागर रहता था | उसके जहाज सातों समुद्रो मे
जाते थे ओर उसके पास ऐसी क्रीमती चीज़े थीं; जो बड़े-बड़े बादशाहों के पास भी
न थीं। किन्तु वह सोदागर किसी पुत्र के न होने से बड़ा दुःखी था बहुत दिनों के
बाद उसे एक लड़का पेदा हुआ | लड़का बड़ा ही सुन्दर और प्रतिभाशाली था।
सोदागर ने उसकी शादी एक सुन्दरी युवती के साथ कर दी | लड़का धीरे-धीरे
अपने बाप का सारा कारोबार देखने लगा | उसने एक मैना ओर एक तोता खरीदा;
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