विचार धारा | Vichaar Dhaara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१० विचार धारा पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं के भी बीच में पड़ता है। इसके सिवाय यह देश राजनीतिक दृष्टि से भी केंद्र है क्योकि प्राचीन काल में यह देश भारत के सव से प्रसिद्ध वीर पुरुषों और राजाओं की वास भूमि थी |! मध्यदेश की सीमाओं के सम्बन्ध में इस वन से विशेष सहायता नहीं मिलती | इसके बाद प्रायः एक सहस् वर्ष से आर्यावत्त या भारत के हृदय मध्यदेश पर विदेशियों का आधिपत्य रहा है | मुसलमान काल में मध्यदेश हिन्दुस्तान कहलाने लगा | मध्यदेश का यह नया अवतार भी अपने पुराने कलेवर के समान ही विकास को प्राप्त हुआ | दिल्‍ली के चारों ओर के देश से आरम्भ करके हिन्दुस्तान नाम का प्रयोग धीरे धीरे वट्ता गया | मुसलमान काल के अंतिम दिनों में समस्त उत्तर भारत अर्थात्‌ प्राचीन काल का आर्यावत्त हिन्दु स्तान हो गया। अब तो हिन्दुस्तान के अथ भारतवर्प हों गए हैं। बृटिश शासन मं मध्यदेश ने तीसरी बार मध्यप्रांत के रूप में जन्म ग्रहण किया दै नयी स्थिति के अनुसार यह ठीक ही है। विदेशियों के आधिपत्य के कारण मध्यदेश शब्द को यद्यपि मध्यदेश वालों ने बिलकुल मुला दिया किन्तु उसका पुराना रूप पूर्णतया लु नहीं हो गया है। हिमालय ने उसको भी शरण-दी है। काठमांडू के बाज़ार में यदि कोई हिन्दुस्तानी निकलता हो तो नेपाली लोग अब भी कहते ই कि भमदेरियाः जा रहा है अर्थात्‌ मध्यदेशीय या मध्यदेश का रहने वाला जारहा है |




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