पत्थर अलपत्थर | Patthar Alapatthar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Patthar Alapatthar by उपेन्द्र नाथ अश्क - Upendra Nath Ashak

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उपेन्द्रनाथ अश्क - Upendranath Ashk

Add Infomation AboutUpendranath Ashk

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
लेखक की ओर से जब तक मेंने उस मनोव॒ृत्ति का खाका सभी पहलुओं से नहीं खींच लिया, मुझे चन नहीं पड़ा। हो सकता है , मेरे कुछ पाठक भी मेरे उन घनिष्ट मित्र ही की रुचि के हों। उनसे में क्षमा चाहूंगा। मनोरंजन साहित्य का निहायत ज़रूरी अंग सही, पर केवल उसे ही साहित्य का एकमात्र उद्देश्य में नहीं मानता। 'र्थर-अ्लपत्थर' कश्मीर क्रे स्वर्ग का सौन्दयं. भी दिखाता हे, पर कश्मीर को वासो उस सौन्दर्य का उप्रभोग करने के लिए आने वालों से कंसी आज्ञा रखता हैँ, इसकी ओर भी संकेत करता. है और यदि मेरे कुछ भी पाठक कदमीर (अथवा दूसरे पहाड़ों को) जाते समय अपने व्यवहार का जायजा ले लेंगे तो में अपना प्रयास सफल समझंगा। केवल इतना में और कहना चाहता हूं कि मेंने अत्युक्ति से काम नहीं लिया। उस स्वर्ग का सख लेने को जाने बाले अधिकांश लोग जसा बर्ताव करते हें, उसी को एक झलक सेत्ते प्राककों को दी हे। चूंकि जिन मित्रों ने उपन्यास के मसौदे को पढ़ा, उन्होंने भिन्न-भिन्न मत दिये, इसलिए कौरल्या (प्रकाशक के नाते अधिक, पत्नी के नाते कम) चाहती थौ कि मं इस पर एक विस्तृत भूमिका भी लिख । यद्यपि मेरे उपन्यासों ओर नाठकों में प्रायः भूमिकाएँ रहती हें, पर किसी उपन्यास पर भूमिका का होना में कुछ बहुत अच्छा नहीं समझता--साहित्यिक कृतियों पर कब भिन्न-भिन्न सत नहीं हुए ? दूसरे इस छोटे-से उपन्यास पर लगातार साल-भर से जुदे रहने और (यद्यपि इसका एक मसोदा एक-डेढ़ वर्ष पहले धर्मयुग' मं छपकर लोकप्रिय भी हो चुका था) केवल अपने सःतोष के लिए इसे तीन बार लिखने से (जिस प्रक्रिया मं न केवल यह पहले मसोदे से तिगुना हो गया, बल्कि बदल भी गया) में इतना थक गया था कि मुझे अब इसके गुण-दोषों का विवेचन करना बड़ा ही कप्टकर लगा। विशेषकर उस सुरत ११




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now