मुक्तधारा | Muktdhara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नुक्तणशय ५
विभूति
उनकी क्या आज्ञा हे ?
दूत টিন
इतने दिनों से तुम हमारे मुक्तथारा झरन को बाँध बाँध-
कर रोक देने की चेष्टा कर रहे थे । वह बार बार टूटा, कितने
लोग बालू-पत्थर के नीचे दब मरे, कितने लोग बाढ़ में बह
गये । आज अन्त में--
विभूति
उनका प्राण देना व्यर्थ नहीं हुआ । हमारा बाँध तेयार
हो गया ।
दूत
शिवतराई की प्रजा ने बाँठछ অল जाने की खबर अभी तक
नहीं पाई । वे विश्वास हो नहीं कर सकते कि जो जल देवता
ने उन्हें दिया है उसे कोई मनुप्य बाँध सकता है ।
पिभूति
देवता ने उन्हें कैेब७ जल ही दिया है: किन्तु हमें दिया है
उस्र जल को बाँधने का बल ।
दूत
वे लोग निदिचन्त ह, नहीं जानते किं इस सप्ताह के बीतते
ही उनके खेत--
विभूति
उनके खेत, क्या कहते हो ?
दूत
बाँध बाँधकर उनके खेता को सुखा डालना हीक्या
तुम्हारा उदेद्यन था ?
तुम्हारा उद्श्य दिमृति
बालू, पत्थर और जल--इन तीनों के षड़यंत्र को नष्ट
User Reviews
No Reviews | Add Yours...