विवेकानन्दजी के संग में | Vivekanandji Ke Sang Mein
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
487
श्रेणी :
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No Information available about शरच्चंद्र चक्रवर्ती - Sharcchandra Chakravarti
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिच्छेद १४
स्थान--बेलुड--भाड़े का मठ । वषं-१८९८ इंस्वी ।
विषय---तइ मठ की भृमि पर श्रीरामकृष्ण की प्रतिष्ठट---आचाय दौकरकी
अनुदारता--बौद्ध धम का पतन--कारण निर्देश-तीथमाहात्म्य-
“रथ तु वामन॑ दृष्ट्वा? इत्यादि इछोक का अथे---भावाभाव के अतीत
दंदवर स्वरूप की उपासना ¦
परिच्छेद १५
स्थान -वेरृड-- भाद का मट। वष-१८९८ दस्वी (फरवरी मास)
विष्रय-स्वामीजी की बाल्य व यौवन अवस्था की कुछ घटनायें तथा
दशेन--अमेरिका में प्रकाशित विभूतियों का वगन---भी तर से मानो
कोइ वकक्त॒ता-राशि को बढ़ाता है ऐसी क्षनुभृति--अमे रिका के स्त्री-
पुरुषों का गुगावगुण--दंष्यो के मारे पादरियों का अत्याचार--
जगत् में कोई মনুলুক্কাত্র कपटता से नहीं बनता--इश्वर पर
निभरता--नाग महाशय के विषय में कुछ कथन ।
परिच्छद् दै
स्थान-बेलृड- भाद का मठ । वध-१८९८ इस्वी (नवम्बर)
विषय--काइमीर में अमरनाथजी का दशन--दक्षौरभवानी के मन्दिर
में देवीजी की वाणी का श्रवण और मन से सकल संकल्प का
तव्याग--प्रेतयोनि का अस्तित्व--भूतप्रेत देखने को इच्छा मन में
रखना अनुचित--स्वामीजी का प्रेतदशन और श्राद्ध व संकल्प
से उद्धार ।
परिच्छद १७
स्थान-बेख्ड- माड का मठ) वर्ष-१८९८ ईस्वी ( नवम्बर )
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