विवेकानन्दजी के संग में | Vivekanandji Ke Sang Mein

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Vivekanandji Ke Sang Mein by शरच्चंद्र चक्रवर्ती - Sharcchandra Chakravarti

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शरच्चंद्र चक्रवर्ती - Sharcchandra Chakravarti

Add Infomation AboutSharcchandra Chakravarti

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
परिच्छेद १४ स्थान--बेलुड--भाड़े का मठ । वषं-१८९८ इंस्वी । विषय---तइ मठ की भृमि पर श्रीरामकृष्ण की प्रतिष्ठट---आचाय दौकरकी अनुदारता--बौद्ध धम का पतन--कारण निर्देश-तीथमाहात्म्य- “रथ तु वामन॑ दृष्ट्वा? इत्यादि इछोक का अथे---भावाभाव के अतीत दंदवर स्वरूप की उपासना ¦ परिच्छेद १५ स्थान -वेरृड-- भाद का मट। वष-१८९८ दस्वी (फरवरी मास) विष्रय-स्वामीजी की बाल्य व यौवन अवस्था की कुछ घटनायें तथा दशेन--अमेरिका में प्रकाशित विभूतियों का वगन---भी तर से मानो कोइ वकक्‍त॒ता-राशि को बढ़ाता है ऐसी क्षनुभृति--अमे रिका के स्त्री- पुरुषों का गुगावगुण--दंष्यो के मारे पादरियों का अत्याचार-- जगत्‌ में कोई মনুলুক্কাত্র कपटता से नहीं बनता--इश्वर पर निभरता--नाग महाशय के विषय में कुछ कथन । परिच्छद्‌ दै स्थान-बेलृड- भाद का मठ । वध-१८९८ इस्वी (नवम्बर) विषय--काइमीर में अमरनाथजी का दशन--दक्षौरभवानी के मन्दिर में देवीजी की वाणी का श्रवण और मन से सकल संकल्प का तव्याग--प्रेतयोनि का अस्तित्व--भूतप्रेत देखने को इच्छा मन में रखना अनुचित--स्वामीजी का प्रेतदशन और श्राद्ध व संकल्प से उद्धार । परिच्छद १७ स्थान-बेख्ड- माड का मठ) वर्ष-१८९८ ईस्वी ( नवम्बर ) ঙ 15]




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now