पैगम्बर गीत | Paigambar Git

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Paigambar Git by लालजी भाई सत्यस्नेही - Lalji Bhai Satyasnehi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१८ | कथि परिचय स्वामी जाके सम्प्र में आते रहते ह। अच्छी कविता करते । इस संग्रह में आपका तीन कविताएं न, ९० से १०१ तक है । ० स्व. श्री विजया कुमारी अयोधच्ष्या यह श्रा बैद्य प्रकाशयुश्न जी का पुत्री थी । वैद्य जी का कवित्य इसे छोटा भवम्था में ही उतराधिकारित्व के रुप में मिला था। चित्रकार भी थी। उाटा जवबध्था में हा सत्यसमाञ् के सल्जर में रंग गई थी सत्यसमाज वी एक ज्योति बनेगी एसी सबको बाता थी | एर असमय मे डी स्वर्ग चली वह । हससे सनी सन्यसमाजिय को तथा स्वासी जी ऋ भी काफी खेद हुआ था ! संगम में स्वामी जी ने इसपर काफी सासित लेष्व जिग्वा श्वा! इसकी दो कविताएँ पू, १८२-१०३ पर छपी हैं । १० वेय नन्दकुमार जी जयपुर आए अत्यन्त वद्ध है । पर इस अवस्था में भी स्वार्मी जी थे प्रति भोर सत्यसमाज के प्रति जो अनराग है भोर जवानों के भी कान काटने वाखा ठा उत्साह है चह आश्चयं जनकः >, जयपुर में जो ७» व सत्यभक्त जगरन्ता मनां गदं उसके सूत्रधार नाप ही थे। इसी अनुराग भक्ति का पश्णिम आपकी क्विताप्‌ है जा ठम संग्रह में १०४-१० नंबर पर हैं । ११ महन्त द्वारकादास जी विभाकर सा दत्याचाय पालीगंज भाप रामानन्दी वैष्णव सम्प्रदाय के अच्छे विद्वान महन्त है संस्कृत के भा अच्छे विद्वान है। आपने काएी सत्यसाहित्य का स्वाभ्याग किया है और स्वामी जी के सम्पक में भी दो बार आचुके हैं । सत्यभत्त जयंती पर जो कविताएँ आपने भेजी थीं थे इस संग्रह में १०६--१००७ नम्बर परे षी हे । १२ क्री बापूलाल जी सोनी उदयपुर आप कड ष्टोने पर मी सत्यसमाज के प्रचार मे ভিন হাত लगे रहते हैं । चाहे घरमें हों चाहे बाजार में चाहे रेल में, सत्यसमाज के ओर स्वामी जी के विषयमें चर्चा करते ही रहने हैं। आप निर्भय वक्त




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