हंसों की रानी और अन्य कहानियाँ | Hanso ki Rani Aur Anya Kahaniyan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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रेगते-सरकते देख सके, फिर भी क्या मजाल कि कोई जानवः
उनमें से बाहर निकलकर किसी को तकल्लीफ़ पहुँचाए ! राज
साहब ने यह जगह ऐसी तरकीब से बनवाई थी कि अंदर क
छोटा से दोटा कीड़ा भी किसी तरह बाहर न आ सकतः था,
पर बाहरवाले लोग अंदर की एक-एक चीज़ को बड़ी आसानी
से देख लेत थे !
मतलब यह कि ऑस्ट्रेलिया के कंगारू से लंकर अमेरिका
के भेड़िणए और अफ्रीका के असली शेरबबर तक सभी
जानवर इस महल मँ मौजूद थे, जिन्हें देखनवालों का वहाँ
हमेशा एक मेला-सा लगा रहता था । राजा साहब ने अपने इन
पालतू जानवरों की देखभाल के लिए. एक अलग महकमा ही
बना दिया था । हर जानवर को वक़्त पर रातिब दिया जाता ।
सबके मकान की सुबह-शाम साई की जाती। पिंजड़े धोए
जाते और बीमारी दूर करनेवाली दवाय विड़की जातीं ।
राजा साहब का कहना था कि जब हमने इन बेचारो को क्रैद
कृर रक्खा है तो इनके सुख-दुःख की देखभाल करना भी
हमारा काम है । जो लोग जानवरों के लिए दयाभाव नहीं रखते
वे जानवरों से भी गए बीते हैं । जिन जानवरों को आप पाले-
पोस उनके साथ उसी तरह प्यार का बतीव कीजिए जैसा आप
अपने परिवार के साथ करते हैं । आदमी तो अपने दुःख-दर्दे
की टेर सुना सकता है पर बेचारा गूँगा जानवर क्या करे !
बहुतेरे लोग घोड़ों से अपनी रोटी कमाते हैं, वे उन्हें दिन भर
বাঁনী में जोतते हैं । धृप हो या वर्षो, सर्दी हो या गर्मी, इंन
बेचारों का तो दौड़-भाग ही से मतलब है। इस पर ज़रा भूल हुई
नहीं कि चाबुक से खाल उधेड़ दी गई ! यही हालत दूसरे जान-
वरौ की मी बनाई जाती है। आदमी इस बुरी तरह इनसे पेश
आता है कि अगर इनके ज़बान होती तो भगवान् जाने ये
जवाब में क्या-क्या न कहते ! राजा साहब को शक था कि
कहीं उनके नौकर महल के इन जानवरों के साथ ऐसा ही
बेरहमी का बतीव न करने लगे । इसीलिए वह अपने इन पालतू
जीवों की पूरी-पूरी देखभाल आप ही करते थे ।
यो तो राजा साहब अपने महल के इन सभी मेहमानों से
बड़ा प्रेम करते थे, पर उनमें भी वह एक खूबसूरत गिलहरी को बहुत ज़्यादा चाहते थे, जो बड़ी दूर से इस चिड़ियापूर्,में
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हसो क्रि रानी
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