आंध्र के हिंदी कवि | Aandhra Ke Hindii Kavi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कामना
दयामय ! दो इतना वरदान
भक्तिभाव से करें तुम्हारा, प्रतिपल हम गुन-गान।
सबके सुख में निज सुख मानें ।
पर-दुख को अपना दुःख जानें॥
सबकी सेवा का त्रत ठानें।
लगी रहे यह लगन हृदय में, दीन-बन्धु भगवान ॥ १॥
काम, क्रोध को दूर भगाएँ।
लोभ, मोह, मद पास न आएँ ॥
सबका हित नित चित में लाएँ ।
सुख दुःख में हम कमी न मूं तुमको दया-निधान॥२॥
प्रकृति -सुन्दरी ने यह सारा।
जड़-जगम संसार पसारा ॥
कितना सुन्दर कितना प्यारा ।
इसके कण-कण मे हम देखे, प्रभु का रूप महान ॥३॥
नील-गगन में रवि, शशि, तारे ।
जल-थल में पशु-पक्ती न्यारे॥
तुम से ही सब गए सँवारे।
सब में तुम हो, तुम में सब हैं, रहे सदा यह ध्यान ॥४॥
स्नेह, दया का पावन प्रन हो।
शुचिता, मुदिता ही प्रिय धन हो॥
त्मा-तितिक्ञा-मय जीवन हो ।
विश्व-प्रेम के रंग रेगा हो, प्रभुवर तन-मन-प्रान ॥५॥
॥ (५ = यो
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