कूर्म पुराण का सांस्क्रतिक अध्ययन | Cultural Data In The Kurma Purana

Cultural Data In The Kurma Purana by डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी - Dr. Lakshmi Narayan Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मूल कारण मे विलीन हो जाती है । इस जगत के पदार्थों के स्वत नष्ट होने की प्रक्रिया को ही नित्य प्रलय कहा गया है जो प्रतिक्षण सभव है | प्रस्तुत सदर्भ मे हरिनारायण दुबे? का कथन अत्यन्त सारगर्भित है कि पुराणों के प्रलय विलय अथवा जल-प्लावन घटना क्रमो का साकेतिक अर्थ मानव आर्दर्शों एव विचारों के परिवर्तन एव नये मूल्यादर्शों की ओर प्रस्थान से माना जा सकता है | वश बह्यमा द्वारा उत्पन्न नृपतियो की भूत भविष्य तथा वर्तमान कालिक सतान परम्परा को वश कहा गया है | राज्ञा ब्रहमप्रसूताना वशस्त्रैकालिको5न्चय | वश के अन्तर्गत ऋषियों तथा देवो की कूल परम्परा की भी परिगणना पुराणों मे की गई है | मन्वन्तर सृष्टि के विभिन्‍न कालमान को मन्वन्तर द्वारा व्यक्त किया गया है। पुराण परम्परानुसार एक कल्प के अन्तर्गत चौदह मनुओ का प्रादुर्भाव होता है | प्रत्येक मनु द्वारा भुक्त काल को मन्वन्तर कहा जाता है । इस प्रकार एक कल्प मे चौदह मन्वन्तर परिकल्पित किये गये है | भावगत पुराण मे मनु देवता मनुपुत्र इन्द्र सप्तर्षि और भगवान के अशावतार- इन छ विशिष्टताओ से युक्त समय को मन्वन्तर कहा गया है । विष्णु पुराण मे चौदह मनुओ के नाम इस प्रकार है - 1 स्वायम्भुव 2 स्वरोचिष 3 उत्तम 4 तामस 5 रैवत 6 चाक्षुष 6 वैवस्वत 7 सावर्णिक 8 दक्षसावार्णिक 9 ब्रहमसावर्णिक 10 धमसावर्णिक 11 रूद्रसावर्णिक 12 देवसावर्णिक 13 इन्द्र सावर्णिक | कूर्म पुराण




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