सिद्धांत सूत्र समन्वय | Siddhant Sutra Samnavya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ बताई, साथ ही इस्दो ने यह बात बड़े आश्वय के साथ फही कि जौववाण्ड और वर्मेशाण्टममचा गो साटसार द्रज्यवेद +े निरूपणश से भरा हुआ है, और पटसण्हागम-मसिद्धांत शास्य में कही भी द्रब्यवेद्फा वशेन नहों है ऐसा थे समझदार विद्वान भी কটা তা ३ ह गहुत दी आाश्वय वी बात है । अस्पु । अरसक गम्पोर অংভূল হজ পা अनुशद फ्रते हू कारण अ्रद्धय शाघी जी का जैसा अखावारण एवं परिपक्य बढ़ा चढ़ा शाद्रोय अनुभच हैं भौर जैसे वे समाज प्रतिष्ठित उद्धट विद्वान है उसी प्रकार इन्हे आगम ए4 घभ रक्तण ী শী লমহিক্ चिता रहती दै। भौफेसर साहेव फू मन्तव्यों से ता थे उस्हों के 1ितती हानि समभने है परन्तु सिद्धांत सूत्र में ''सब्जद ” पद जुड़े जान एवं उसके तांम्रपत्न मे स्थायो हो जाने से वे आगम में धपरीत्य आने से समाज भर का अदित सममभते हैं, इसका उन्हे अधिक खेद है । इस किय जिस प्रकर “दिगम्पर जैन सिद्धांत दर्पण प्रथम भाग,, नामक द्रोक्ट উই জিলনী কি লিখ ছল লাইুহা বিখাখা। হী মানির অহ পথ মী বনী কি আাইহা सा परिएाम द्ै। अन्यवा हम दोनो में से एक भी ट्रैक्ट फे लिखने में सफल नहीं दो पाते, कारण कि अष्ट सदख्रो, प्रमेप्कम्त्र मातण्ड रा ज- वातिकालकार पव्नचाध्यायी इन गअन्धो के अध्यापन तथा सस्था एव समाज सम्बन्धी दूसरे २ अनेक कार्या के নিকষ ই হম थोड़ा भी अवकाश नहीं दे। फिर भी भाई साहेब की प्रेरणा से इमने दिन में तो नियत कार्य किये है, रात्रि में टो दो बजे से




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