तपस्वी तिलक | Tapaswi Tilak
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गोकुलचंद शर्म्मा - Gokul chand Sharmma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विशारद महाकवि ग्लेडस्टन का यह वाक्य स्मरण रखता:
चाहिए:---
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अर्थात् वह मनुष्य जो उन रस-भावादि को ज्ञिन से वह
ख॒य॑ प्रभावित हुआ है दूसरे के हृदयज्ञम कर सकता है
वाग्मी छहा जाना चाहिए। लोकमान्य के विषय में
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यह बात अक्षुरश: सत्य हैं| एक बार सिटिजन पन्न ने
लिखा थाः--
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वारसी नहीं है। पे बड़ बढ़े अलड्भारों की झेझट में कभी नहीं पड़ते ।
उनके बराच्द उनकी सरर घौर स्पष्ट मुखाकृति के अनुरूप निकलते
हू। परन्तु, उनक्नी सत्यता, उनका बाइ बिल का सा कथन-सारल्य
र उन के तक की तत्तामयी शैली इन के भोताओं फे मस्तिप्क
मे जादू का जार पूर देते है ।
तिलक की बुद्धि सर्वतोगामिती, विशद और विस्तीयी
এ অন विचार प्रगल्स, मनोजत्ति उदात्त और पाणिडत्य
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