तुम्हारी क्षय | Tumhari Kshaya
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ तुम्हारे समाज की क्षय ११
के सारे रास्ते खुले हैं, तो वहाँ वह प्रधम श्रेणी का जगह्विख्यात
अमिनेता होता । लेकिन आज साठ बरस की अवस्था में इस
अशिक्षित व्यक्ति की वह महान् प्रतिभा ग्रामीण स्री-पुरुष-
जीवन के कुछ सजीव चित्रण द्वारा अपने परिचितों का कुछ
मनोरंजन मात्र कर सकती है । मेने ऐसे स्वाभाविक कवि देखे
हैं, जिन्हे अक्षर का कोई भी ज्ञान नहीं । जिस मापा को वे बोलते
हैं, उसमे कोई लिखित साहित्य नहों, कोई आचार्य-परम्परा
नहीं, छुन्द और अलकार के परिचय का कोई साधन नहीं, तब
भी अपनी भाषा में वे बहुत ही भावपूणं--स्सपूर्ण कविता कर
सकते हं ¦ शिन्नित जन उनकी कविता को, रगेवारू कह कर
निरादर करते हैं और इसके कारण वे खुद भी उसेवेषा दी
समभते हैं। कवित्व के लिये बाहर सेन उन्हे कोई प्रेरणा
मिलती है न ग्रोत्साहन, सिफ अन्तः्प्र रुणा से मज़बूर हो कर वे
कभी-कभी कुछ गा लेते हँ। सें गॉव के एक लड़के के बारे में
जानता हूँ । उसकी माँ विधवा हे। नाम मात्र का थोड़ा-सा
खेत पुत्र और माता की जीविका का साधन दै। लडका गोव
की पाठशाला मे पढ़ने बैठा । असाधारण मेधावी, गणित से
विशेष निपुण | प्राइमरी-स्कूल में उसे छात्र-इत्ति मिली, जिसकी
सहायता से उसने मिडल पास किया | वहाँ भी उसने छात्रन्नत्ति
पाई | यद्यपि वह पर्याप्त न थी, तो भी किसी तरह वह अपनी
पढाई को जारी रख सकता था। मेट्रिक में युक्तपान्त से उत्तीर्ण
होने वाले कई हज़ार छात्रों में उसका नम्बर दूसरा या तीसरा
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