ये लोग | Ye Log
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
133
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८ | ये लोगं
कर मैंने काका से कहा, आराम कीजिए । तंकलीफ बढ़े, तो मुझे खबर
कीजिएगा । “गाँव में गर्माहट है । चल कर देखे, लोग क्या सोच रहे हैं।
इस बीच कल्प जबर सिहं के दरवाजे पर पहुँच गया था । दोनों
बहुत नाराज थे | वे सात पीढ़ियों को गाली देकर मुझे नष्ट कर देने
की घोषणा कर रहे थे ।““बाम्हन का लौंडा, चला है कम्युनिस्ट बनने ।
ससुरे को अभी पता नहीं है। मेरे रास्ते में जो पड़ा, वह हमेशा के लिए
बर्बाद हो गया है । चार बाँस बजवाया नहीं कि दिमाग दुरुस्त हो
जायगा। नादान आदमी ने राह चलते दुश्मनी मोल ले लिया है ।
गँवई राजनीति में जबर खुद को तीसमार समझता था । मुझ पर
दबाव डालने के लिए उसने पिता जी को दरवाजे पर बुलाकर तमाम
तरह को नयी-पुरानी और खरी-खोटी बातें घुनायीं । पिताजी सन्न रह
गये, जैसे समाज का निहायत भद्दा रूप उन्हें पहली बार दिखा हो |
आदत के अनुसार वे चुपचाप हर बात सुनते चले गये ।
'नोलिए कुछ । चुपाई मारने से काम नहीं बनेगा ४” सरौते से सुपारी
काटते हुए कलपू ने डपट के लहजे में कहा ।
“इस समय केवल सुनना जरूरी है। बाद में समझ-बूझ कर जवाब
दूँगा । पिता जी ने सहज वेष्णवी स्वभाव के अनुसार उत्तर दिया ।
धुरोहित के परिवार का आचरण गंगाजल-सा पवित्र होना चाहिए ।!
बत्तख को तरह गरदन उपर की ओर तानते हुए जबर ने कहा । अब
आपका परिवार भ्रष्ट हो चुका ই | जगेसर, जिसे मैं लायक और होन-
हार लड़का समझ रहा था, चमारों के घर भोजन करने लगा है ।
उसका उठवा-बैठना बस उन्हीं लोगों तक सीमित है। यह बर्दाश्त के
बाहर हो चुका है ।
थही नहीं, कुछ और भी बातें हैं! आग में घी डालते हुए कल्पू
ने धीमी आवाज में कहा । जगेसर का चरित्र भी ठीक नहीं है । जगन
की औरत धनराजी से उसका अवध सम्बन्ध है । जब देखो, उसी के
घर में चुसा रहता है। क्या जरूरत है, जगन के घर में जाने की ।
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