द्वितीय पंचवर्षीय योजना | Dwitiya Panchvrshiya Yojana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29 MB
कुल पष्ठ :
640
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका
इस विवरण में ट्वितीय पंचवर्षीय योजना के लिए योजना आयोग के सुझाव दिए गए हैं।
इस योजना की झुपरेखा पर राष्ट्रीय विकास परिषद ने विचार करके २ मई, १६५६ को निम्न-
लिखित प्रस्ताव पास किया था :
राष्ट्रीय विकास परिषद द्वितीय पंचवर्षीय योजना के मसौदे पर विचार करके, योजना
के उद्देश्यों, प्राथमिकताओं और कार्यक्रम को सामात्यतः स्वीकृति प्रदान करती
है; श्रौर ।
जनता के उत्साह तथा समर्थन पर भरोसा करके, -
भारत की केद्रीय सरकार रर सब राज्य सरकारों के इस निर्णय को पुष्ट करती है
कि वे इस योजना को न केवल पूरा करेंगी, अपितु इसके लक्ष्यों से भी भागे बढ़ने
का प्रबल करेंगी; और
भारत के सव नागरिकों से भनुरोध करती है कि वे द्वितीय पंचवर्षीय योजना के कार्यों
लक्ष्यों प्रो उद्देश्यों को बथासमय पूरा करने के लिए जी-जान से प्रयत्त करें ।
৭. राप्ट्र के इतिहास में किसी पंचवर्षीय योजता के आरम्भ और समाप्ति की तारीखें
महत्वपूर्ण तारीखें होती हैं । प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में गुजरे हुए जमाने के काम का लेखा-
जोला होता है और आगे क्या करना है इसकी रुपरेसा तैयार की जाती है । इसमे देशा की कोटि.
मोटि जनता कौ भआाकांक्षाओं, प्रभिलापाओं और आदकशों को मते सूप देने का प्रयत्न किया जाता
है, और इसके द्वारा हरेक व्यक्ति को देश की दद्रा दुर कले और जीवन का स्तर ऊंचा उठाने
फा महत्वपूर्ण कार्य करने का अवसर मिलता है।
३. प्रथम पंचवर्षीय योजना मार्च १ ६५६ में समाप्त हो
हमारे विचारों ले अंग हैं । इस योजना द्वारा समाजवादी ढंग की सामाजिक व्यवस्था की रचना
क़ तद्य कौ नीवि पड़ चुकी है, अर्थात ऐसी सामाजिक और
भोर लोकतत्तर की मान्यताओं पर ग्राधारित होगी, जिसमें
के विशेष भ्रधिकार होंगे; जिसमें धिक रोजगार और अ्रधिक उत्पादव होगा और जिसमें
सामाजिक न्याय भी अ्रधिकतम प्राप्त हो सकेगा ।
गई। उसके कार्य और दृष्टिकोण
४४, धीय पंचवर्षीय योजना को तैयार करने का कार्य लगभग दो वर्ष से हो रहा है ।
पजने क्रायोग ने अप्रैल १६६४ में
जन एन्य सका से कहा थाकिवे जिल्लों और ग्रामों
पते पोजनाएँ तैयार करें, और बैसा करते রা
ते हुए खेती की दै সী
रना फा विशेष ध्यान रखें। इन ह নীতা 'दिवार, देहाती उद्योग-धंघों भौर सह
स्पोडि को तैयार करने का काम प्रारम्भ किया
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त् क्षेत्रों का अधिकतम लोगों की सुख. -यूविधाग्रो से
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