गांधीजी का हत्याकांड | Gandhiji Ka Hatyakand
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
432
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २१ )
को लिखकर एक मराठी ओर एक तेटयू दुभापिया मे जनेको कटे । सवाटियर और
वम्बईसे गवादियाँ ओर शिनाख्त आदिके सम्बन्धके कुछ जरूरी कागज मँगानें-
को सी उन्होंने अदालतसे क
भसापाके सम्बन्धर्में कुछ वहसके बाद निश्चय हुआ क्ि अंग्रेजीमं ही सारी कारर-
চি ৭৬ শি ৯ (न ৯১
वाई लिखी जाय, पर गवाहियाँ आदि जहाँतक हो सके गवाहोंकी भाषोमें ही पूरी पूरी
लिख ली जायें यद्यपि सुरक्षा कानूनके अनुसार संक्षेपे भी गव्या लख लेनेसे
काम चल जाता 1
जनने भोपटकरसे बचावके सब बकीलोंके नामोंकी सूची माँगी। भोपटकरने
इसके लिए एक्र सप्ताह और समय चाहा जिसपर जजने कहा कि कामूनसे हम
ओर समय देवनेके लिए वाध्य नहीं हें, फिर भी यह सहूलियत दे सकते हैं कि
सुनवाइका काम १४ तारीखसे शुरू न होकर २१ से दो | सरकारी वक्रीलने कहा कि
२१ कौ मारण्टवेटन भारते विदा द्ोनेवाले ह॑ इसलिए सम्भवतः पुलिस उसमें
फेंसी रहेगी | जजने इसपर निण्य दिया क्रि मामला २२ तारीखक्ती य दो ।
मामलेकी पेशीके पहले दिन मदनलालने कहा था कि हमें बचावके लिए कोई
वकील नहीं चादिये, पर आज उसने कद्ा कि भोपटकर हमारे वचावका भी इन्तजाम
कर। दें । शंकर किस्तैयाने पहले दिन वकील चाद्दा था, पर आज कहा कि सरकार
दी मेरे बचावक्रे लिए वकील दे ॥
मरारभ्मिक्र काररवा्ैकी तीसरी और आखिरी पेशी १४ जूनको हुई और आधे
घण्टेतक चलती रही। भोपटकरने वचावके वकीलोंकी सूची अदालतकों दी और
कहा कि २५ तारीखमे सब वकील अदालतमें उपस्थित रहेंगे ; वेरिस्टर ओक नथू-
रामकी और श्री मणियार गोपाल गोडसेकी पैरवी करेंगे । ॥
सबृतकी गवाहियोंकी नक॒रें अदालतकी अनुमतिम्ने ७ अभियुक्तोंकी दी गयीं 1
उनमें दो अंग्रेजी नहीं जानते थे ।
आन करकरे गान्धी टोपी ओर नेहरू शर्ट पहनकर आये थे । भोपटकरने अदा-
` ठतसरे भनुरोध किया कि पुलिसवालॉकी जेलमें अभियुक्तोंसे मिलनेसे रोक दिया जाय।
अदालतने कद्दा कि यह दिल्लीके चीफ पुलिस कमिइनरका मामला दै आर उन्दीमे
कहना चाहिये । यदि इस तरह पुलिसको रोकनेका अदालतको क/नूनन कोई अधि-
कार हो तो उसे वतानेकी भी ्रदालतने भोपटकरसे कहा । दिल्लीकी दौरा अदालतों -
के रिवाजके अनुसार दफ्तेमें छकवारतक केवछ ५ दिन अदालत बठे, इस आश्ययका
अनुरोध सफाई और सबूत दोनों पक्षोंके वकीलेंने किया ओर अदालतने उसे इस
झर्तपर मान लिया कि मुकदभैकी काररवाई जल्दी-जल्दी होती जायगी । दी तीन
दिन सुनवाईका हाल देखकर यदि आवश्यकता हुईं तो अदालतका समय सबेरेका
करनेके प्रइनपर भी अदालतने विचार करमेका आदइवासन दिया |
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