मेरी काश्मीर यात्रा | Meri Kashmir Yatra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.87 MB
कुल पष्ठ :
123
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. मथुराप्रसाद पाण्डे - Pt. Mathura Prasad Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मेरी काश्मीर यात्रा हम प्रथम फाटक के अन्दर घुसे और कुछ दूर चले हमको मातम हुआ कि हम ताजमहल के एक चौड़े घेरे में जा पहुंचे । दूसरे फॉटक में प्रवेश करते ही हमारी दृष्टि सामने बने हुए सुन्दर बेलबूटेदार अनेक अ्रकार के उत्तेमोत्तम छोटे बड़े तूक्षों ्वारा सुशोभित उपबन के मध्य में ताजमहल पर पड़ी । बार में पत्थर की चार सड़कें बनी हुई हैं । दूसरे फाटक से ताजमहल के रोज़े तक पत्थर का एक लम्बा होज़ बना हुआ है । हज के मध्य में लगभग सवा सो फ़ौल्वारे बसे हुए हैं । इस हौज् से ताजमहल की ब्योढ़ी तक दोनों तरफ़ पत्थर की स्वच्छ सड़कें बनी हुई हैं। सड़कें दोनों तरफ़ रंग बिरंगे पुष्पों के आमरणों से बिभषित हैं । ताजमहल के चारों तरफ एक लम्बा चौड़ा सफ़ेद माबंल का चब्तरा बसा हुआ है। इस चबतरे के मध्य में ताज की विशाल इमारत अपना मस्तक ऊंचा उठाए हुए ब्ृद्ध भारत की निमोण-कौशल- कला का परिचय सारे संसार को आज भी दे रही हैं । इमारत के चारों कोनों पर चार बड़ी बड़ी मीनारें खड़ी हैं । इस विशाल भवन में पवेश करने के पहले हम कुछ मिनिटों तक स्तव्घ खड़े रहे । पुनः मैंने और चाजपेयी जी ने सक़बरे में प्रवेश किया 1 मक़बरे की स्वच्छता के लिए दो मुसलमान नोकर नियुक्त हैं । एक नौकर को हमने मक़वरे का भीतरी भोग दिखाने के लिए अपने साथ से लिया |
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