स्वामी रामतीर्थ | Swami Ramtirth

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Swami Ramtirth by रामेश्वरसहाय सिंह - Rameshwar Sahay Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सत्य का मार्ग ड -सासारिकि वस्त्रा, स्थृल्ल पदाथां की इच्छा करना ही तुम्हारी दास्यता सुम्हारी ग़ल्लामी का कारण हे। प्रत्येक मनुष्य इेंसामसीह (महान्‌ पुरूष) -होना चाहता हे, अत्येक मनुष्य सल का श्रतुमव करना चाहता है, सिद्ध और महात्मा वनना चाहत। है, किन्तु इसा मूल्य चुकाने के लिए बहुत ही थोड़े लोग तैयार होते है, विरला ही कोई मिलता है । भारतवर्ष में एक बडा कसरती पद्लवान था। गोदना गुदवनि के 'ल्लिए अपनी भुजा पर सिंह की तसवीर खुदवाने के लिए उसे एक नाई की जरूरत पढी | उसने नाई से अपनी दोनों भ्रुजाओं पर एक बड़ा सेजस्वी सिंह अंकित कर देने को कहा | उसने कहा--मेरा जन्म सिह राशि सें हुआ था, लझ-घदी वड़ी अच्छी थी और मैं वडा बहादुर हूँ, ऐसा लोग सुफे समझते भी है। नाई ने सुई ली ओर सिंह चित्रित करना अर्थात्‌ गोदुना आरम्भ किया। किन्तु ज़रा-सी सुई चुभाते ही 'पहलचान को कष्ट सालूस हुआ | सॉस खींचकर चह नाईं से बोला--- #उहरो-ठहरो, यह क्या कर रहे हो १” नाईं ने कहा कि में शेर की दुम अंकित करने लगा हूँ । वास्तव में, यह मजुप्य सुई के घुभने की चेदना 'न सह सका और भद्य-सा बहाना करके चोला---“तुम यह नहीं जानते कि शोक्रीन लोग अपने कुत्तों ओर घोड़ों की दुम कटवा उःलते हैं और इसलिए दुमकटा सिंह ही बडा वली सिंह समझा जाता हे १ तुम सिंह की दुम क्यों बनाते हो ? दुम की कोई ज़रूरत नहीं ।” नाई ने कहा--- “बहुत ख़ब | से पूछ न अकित करू गा, सिंह के दूसरे अंग गोदूँगा 7? नाई ने फिर सुईं उठाई ओर उसके शरीर में भोंकी | इस बार भी वह न सह सका और #ँकलाकर वोला--“/अब तुस क्या करनेवाले हयो १” नाई ने कह -- “अब मैं सिंह के कान खींचने लगा हैँ 1৮ पहलवान ने कहा--“अरे नाई | तू बड़ा झूर्त हे ! क्या तू यह नहीं जानता कि लोग अपने कुत्तो के फान कथ्वा डालते है १ लम्बे कानोंवाले कुत्ते घरों में नहीं रखे जते । क्या तू यह नदीं जानता कि विना कानों का ही सिंह




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