अँधेरी कविताएँ | Andheri Kavitayen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
149
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनोरथ
जब अंधेरा घिरता है
मेर मन डाल के टूटे पत्तेन््सा
नीचे गिरता है
ओर आवाज सुनता हं मे
डाल से अपने मन के टूटने की
जमीन पर ओ सकने तक
हवा का बदला हुआ
स्पर्श भी अनुभव करता हैं
जब इसरे टूटे पत्तों के साथ
जा कर पड़ जाता है मेरा मन
तच सघन अँधेरा
बुद्धि को छूता है
और बुद्धि सोचने के वजाय
तथ्यों को
उकसाती है कल्पना को
और कल्पना
अजीव-अजीब सम्मावनाएँ
सोचती है
एकाध वार रुूगता है
जवं मन नहीं रहा शरीर में
तो बिना मन के इस शरीर को
अंधेरी कविताएँ
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