पंडितप्रवर टोडरमलजीकी रहस्यपूर्ण चिट्ठी | Panditpravar Todarmalji Ki Rahsyapurn Chitthi
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
467 KB
कुल पष्ठ :
42
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६११];
- कहा जाता है,कि इप्त द्वेपका इतना -मर्यकर- परिणाम क्षाया
षि ज्ञाने उपे हुये स्ने भदक दी मस्त होनाना पढ़ा ।
विधरमीं विद्वान इष्वासे रजा भमावित होगमा लीद उ
परिण/मछरूप उन्हें प्राणदण्ड दिया गया |
, पण्हितप्रवर टोडरमझनी एकनिएठ होकर গল্প छिखने बेटे ये।
वे घपने कार्यमें इतने लीन दोजाते थे कि इन्हें खानेपीनेकी भी
सुध न रहती थी | इस विषयर्मे एद्ध जन्भरुति है कि वे जब एक
ग्रम्भकी भाषा टीका छिसत रहे थे तब ६ मद्वतक डनक़ी माताने
मोजनमे नमह नह दाला था! किन्तु कार्यल!ग द्ोनेसे पण्डिसजी
स्वादका भनुमव नरष करमे पाये | लेकिन जन उनका प्न्य समाप्त
होगया तरवे ठप्त दिन मोजन करते समय वेके फि माताजी]
भान दारे नम वर्यों नहीं डाझा ! उत्तमें पातानीने कहा कि
' मैं तो ६ माहसे नमक नह डार दही थी । दष षटनातते धीर प०
111 कार्यतन्मयता ज्ञात होती है ।
* पण्डिकनीके' जन्म-मरणका टीढ़ संवत् तो क्षमीतक যার
नहीं होपका ই, চিত্ত गोमदसारकी टीकाकी प्शस्तिमें उसने
- भपना सम्रय और कुछ परिचय, दिया है। एक दोहा छन्द उने
प्तामहका नाम रमाएति भौर पिति नाम ज्ोगीदास ढिखा है।
उरशा भय मावपाण ( केहन्य भये) मी निकलता है| यथा
रमापति स्तुत गुन जनक, जाको जोगीदाप ।
सोद मेग भाने, पारे, मगट शकाश ॥ ३० ॥
পৃ =... 1. -ंहृष्टि भधिक्ार पत्र:२०४
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