युग वाणी | Yug Vani

Book Image : युग वाणी  - Yug Vani

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

Add Infomation AboutSri Sumitranandan Pant

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मेव दृष्टि खुल गए छंद के बंध . प्रास के रजत पाश छात्र गीत... मुक्त आग युग वाणी बहती अयास | बन गए कलात्मक भाव जगत के रूप नाम जीवन संघषण देता सुख लगता... ललाम सुंदर शिव सत्य कला के कल्पित माप-मान बन. गए स्थूल जग जीवन से हो एकप्राण मानव स्वभाव दही. बन मानव - झआदशें सुकर करता. झपूर्ण को पूर्ण असुंदर को सुन्दर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now