युग वाणी | Yug Vani

Yug Vani by श्री सुमित्रानन्दन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मेव दृष्टि खुल गए छंद के बंध . प्रास के रजत पाश छात्र गीत... मुक्त आग युग वाणी बहती अयास | बन गए कलात्मक भाव जगत के रूप नाम जीवन संघषण देता सुख लगता... ललाम सुंदर शिव सत्य कला के कल्पित माप-मान बन. गए स्थूल जग जीवन से हो एकप्राण मानव स्वभाव दही. बन मानव - झआदशें सुकर करता. झपूर्ण को पूर्ण असुंदर को सुन्दर




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