पुरानी मिट्टी नये ढाँचे | Purani Mitti Naye Dhache
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
123
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)## २१
उसने अपनी सहेली के लिए प्रेज्नेंट ख़रीदना हे--वैसे तो अपनी माँ के
साथ चली जाती, पर आज उसकी भी तबीयत खराब है ।” मिस्टर
वर्मा ने थूक फेंकते हुए! कहा ।
“क्यों मिसेज्ञ वर्मा को क्या हुआ १”
“होना क्या है, सारा दिन रसोई में घुसे रहने से हिन्दुस्तान की
अस्सी फ़ीसदी औरतों को इस उमर में बीमारियाँ आ घेरती हैं। श्रच्छा
तो दस बजे तक तैयार हो जाओगे न £
जी हॉ | 99
मिस्टर वर्मा चले गये ।
ज्ञान मिस्टर वर्मा के साथ की कोठी भें एक कमरे में रहता था।
शुरू-शुरू में जब उसे नौकरी मिली तो विश्वविद्यालय के किसी होस्टल
में कमरा न मिला। बड़ी कठिनाई से इस शरणार्थी परिवार से उसने
यह कमरा लिया था। अब उसे फैलोज्ञ कोटं में स्थान मिल भी रहा
था, पर न जाने कौन सा मूक श्राकषंण उसे यहाँ खींचे था ।
ज्ञान के कमरे मे एक चारपाई. एक लिखने वाली बड़ी मेज्ञ तथा
एक कुर्सी के सिवा कुछ न था | मेनन पर किताबों का ढेर लगा था
आर चारपाई पर कपड़ों का ।
नहाकर कमीज्ञ और पेंट तो ज्ञान ने पहन ली, पर कोट कहीं न
मिल रदा था | सब कुं उलट-पलटकर देखने के बाद् ज्ञान ने जब
एकाएक रज़ाई उठायी तो कोट को नीचे दबा पाया } ज्ञान ने फटककर
कोट को पहन लिया और मिस्टर वर्मा की कोठी की ओर चल दिया ।
रमा तैयार होकर अनमनी-सी दरवाज़े पर खड़ी ज्ञान के आने की
प्रतीज्ञा कर रही थी। वह बार-बार सोच रही थी कि जो ममी कह रही
थी, क्या सच है। पापा ज्ञान से उसकी सगाई करने की सोच रहे हैं ।
स्मा को इस सम्बन्ध का प्रस्ताव उस नौसिखिये दर्ज़्ी द्वारा सिली
#% अनावश्यक पात्र
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