सोनभद्र की आदिवासी जनजातियों की भाषा | Sonbhadra Ki Aadivasi Janjatiyon Ki Bhasha

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Book Image : सोनभद्र की आदिवासी जनजातियों की भाषा  - Sonbhadra Ki Aadivasi Janjatiyon Ki Bhasha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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7 इन्हे नीम ऋषि कहा गया। भगवान शंकर रोज जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने जाया करते थे । जिनके वरदान से नीम ऋषि के वंशज प्रसिद्ध हृए । कुक के अनुसार इस कथा का प्रचलन भूहियार व मुसहर में आज भी प्रसिद्ध हे। 1 इस प्रजाति के शरीर रचना के संबंध मेँ कर्नल डल्टन की रिपोटं महत्वपूर्णं है । वे लिखते है - “ इस जाति के लोग काले भूरे रंग के होते हैं। आनुपातिक रूप में यह जाति थोड़े चपटे चेहरे वाली होती है। लम्बाई मध्यम कद की, उगुलियां कठोर तथा पहाड़ी जाति के लोगों की तरह कठोर मांसपेशियों वाली। जहाँ तक मिर्जापुर एवं सोनभद्र मेँ इस जाति का संबंध है यह आठ कुलों में विभाजित है- 1. तिरवाह 2. मगहिया 3. दंदवार 4. महतवार 5. महतेक 6. मुसहर 7. भूडहार 8. भूइयार 91171121519 525 - 09119 15 2 /5111070/ 01501700011 5210/5997 8 2111४ 02५ 0709 824 8 8018 0४ 118. 1186 811८185 0 8011310 2160 16501111217 ५6501060 02५ (:01016| [2180 06104 0 शावा ©2{6001#/. 10€ 81४2, ४1001625 & (18005 10 116 1231181. 1116 01511001) ५4 06 1182606 50116 (1 (ट्वा 1115 @42181060 0728 9৬৪1 ` 11081 81118 ' ५‰#॥ 85 21717509101 20058 01853011102 11177551685 2811418, ५५४1111& 8 7176 01 217011791 {1106 ५५॥॥ 0 ५0 50 1 € 15 56024110 ৬/07 15081791708 10 2 १८७५0) ° 1816 0 0865165 01 50116 5[0€68| 1€8501 10 ५ 51855 01 1115 50245 85 8 1116 [0८ 01 24116115. इस जाति की अपनी एक जाति -पंचायत है, जो भद्यारी नाम से प्रसिद्ध है तथा इस पंचायत का अध्यक्ष पारिवारिक उत्तराधिकार के कम में एक व्यक्ति होता है, जिसे महतो कहते है। सामान्यतया खानपान जैसे प्रकरणों के लिए ही यह पंचायत बेठती टे, या जब किसी सहजातीय के बीच में यौन संबंध की शिकायत पंचायत में कोई करता है। कुक का कहना है कि यह जाति विवाह के, लड़की ढूंढ़ने कभी दूर नहीं जाती। इस संदर्भ में इस जाति की सारी उपजातियां वैवाहिक संदर्भो में समान स्तर की हैं। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक पत्नियों का भरण- पोषण कर सकता है और उसका मूल्य चुकाने में सक्षम है ,तो वह पत्नियों रख सकता है जो एक ही घर में अलग - अलग कमरों में निवास करती है। 2 सोनभद्र के आज के समाज में यह विभेद संकीर्ण हो गये हैं तथा वहुपत्नीत्व की प्रथा सामान्य नहीं है। इस जाति में तलाक, विधवा विवाह जैसी प्रथायें भी प्रचलित है। पुत्र के जन्म के समय नार काटना, सउर, छठी, बरही जैसी प्रथायें इनमें स्थानीय सवर्णों की तरह आज प्रचलित है। विवाह के प्रकरण में लड़की की खोज लड़के का पिता करता है,जिसे जाति का प्रधान महतो अपने साथ कुछ लोगों को लिवा जाकर स्वीकृति प्रदान करता है। चौक पूरने की प्रथा इनमें भी है। विवाह तय होने पर अक्षत छिड़क कर उसे समर्थन दिया जाता है। विवाह के समय मटमंगरा, टीका, तेल - हरदी, पोखरी, मांगर जैसी लोक प्रथायें इस जाति में सामान्य हैं। विवाह में सिद्ध के पेड़ का मंडप में होना आवश्यक है। भुट्यां धार्मिक रूप 1. 771095 & 55515 01075 10107 ४४8७४ 17012 - (000७8, 2048 71, ¬81 | 2. [1785 & (568 ०01 4011 ५५४65 17012 - (100118, 28086 74, ?िज्ञा | .




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