बौद्ध दर्शन | Baudh Darshan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
193
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जीवनी | गौतम बुद्ध ३
वर्षो तक योग और श्रनशनकी भीषण तपस्या की । इस तपस्याके वारे-
में वह खुद कहते हे --
“मेरा शरीर (दुर्बलता )की चरमसीमा तक पहुँच गया था। जैसे
. . . -श्रासीतिक (अ्रस्सी सालवाले)की गाँठें. . . वसे दही मेरे अंग
प्रत्यंग हो गए थे ।. . . .जेसे ऊंटका पैर वैसे ही मेरा कल्हा हो गया था ।
जैसे . . . .सओंकी (ऊँची-नीची) पाँती वेसे ही पीठके कटि हौ गये
थे। जैसे शालकी प्रानी कड़ियाँ टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं, वेसी ही मेरी पंसु-
लियाँ हो गई थीं। .. . .जसे गहरे क॒एंमें तारा, वेसे ही मेरी आँखें
दिखाई देती थीं ।. . . . . . जैसे कच्ची तोड़ी कड़वी लौकी हवा-धूपसे
चुचक जाती है, मुर्का जाती है, वैसे ही मेरे शिरकी खाल चुचक मुर्का
गई थी ।. . . . उस अनशनसे मेरे पीठके काँटे और पैरकी खाल बिलकल
सट गई थी ।. . . .यदि में पाखाना या पेशाब करनेके लिए (उठता) तो
वहीं भहराकर गिर पड़ता । जव मे कायाको सहराते हुए, हाथसे गात्रको
मसलता, तो . . . .कायासे सडी जडवाले रोम भड पडते । . . . मनुष्य. .
कहते--श्रमण गौतम काला है कोई. . . .कहते--- . . . .काला नहीं
₹ঘাল? |... ,জীহু. . . .कहते---. . . .मंगुरवर्ण है । मेरा वेसा परिशुद्ध,
गोरा (>-परि-अवदात ) चमड़ेका रंग नष्ट हो गया था।. .. .
४ ,, लेकिन, , . .मेंने इस (तपस्या) . .. .से उस चरम...
दशन . . . .को न पाया । (तब विचार हुआ) बोधि(->ज्ञान)के लिए
क्या कोई दूसरा मार्ग हैं ? ... .तब मुझे हुआ-- .. .मेंने पिता
(+>शुद्धोदन) शाक्यके खेतपर जामुनकी ठंडी छायाके नीचे बेठ. . . .
प्रथम ध्यानको प्राप्त हो विहार किया था, शायद वह मागे बोधिका
हो।. . . . (किन्तु) इस प्रकारकी अत्यन्त कृश पतली कायासे वह
(ध्यान-)सुख मिलना सुकर नहीं है ।. . . .फिर में स्थल आहार---
दाल-भात--ग्रहण करने लगा ।. . . .उस समय मेरे पास पाँच भिक्ष्
_ वही, पृ० २४८
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