कुलीन धराना | Kuleen Dharaana

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कलीन धराना | १३ |
गोडोन्सकी ने जेब से बढ़िया रुमाल निकाल कर आंखें पोंछनी शुरू
कीं, 'ऐसी स्त्रियां भी होती ही हैं दुनिया में--पर अधिकतर
आज कितनी मिट्टी जड़ रही हे” बात बदलते हुए बह बोल्ञा।
“मां-सां” एक ग्यारह वर्ष की सुन्दर बालिका भागती हुई `
कमरे में आई “माँ, बलेडिमीर तिकोलिंच घोड़े पर आ रहा है ।”
मारया उठी--गोडोन्सकी ने भी उठ कर ऐलीना को प्रणाम
किया और फिर एक ओर खड़ा हो गया ।
“माँ, उसका घोड़ा कितना सुन्दर है । अभी दम ने उसे
जाहिर के दरवाज़ों पर देखा था । वह कहता था अभी इधर
ही आ रहा हू ।”?
इतने में घोड़े के पैरों की आवाज़ आने लगी और क्षण भर
में एक सन्दर युवक एक बहुत बढ़िया घोड़े पर बेठा सड़क पर
आता हुआ दिखाई दिया । घोड़े को सने खिड़की के सामने
खड़ा कर दिया ।
“कैसी हो मारया मिन्नविता” बाहर से ही बड़े मंधर स्वर
मे वह बोला “देखी है यह मेरी नयी खरीद!” ` `.
मास्या खिड़की में आ गई নি
. “अच्छे हो, बजैडिमीर ! वाह, कैसा सन्दर घोड़ा है। कहाँ
से लिया ?”
“फौज के ठेकेदार से लिया है--पर उस चोर ने मुक्त से खूब
चैसे ठगे हैं” युवक ने कहा।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...