समाजशास्त्र की रूपरेखा २ | Outline Of Sociology 2

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Outline Of Sociology 2 by राम बिहारी सिंह - Ram Bihari Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रध्याय पृष्ठ २२. अपराध ३६३-३६२ { (ण्ट) २३ २५. २६. अपराधों का वर्गीकरण--झपराध के कारण--अपराधो का नियन्‍्त्रण-- दण्ड का सिद्धान्त -सुधारात्मक सिद्धास्त--अ्पराधी और समाज-- अपराध निरोघ १ दाल श्रपराधं २३६२४१७ ( 3978216 79611000620 ) बाल अपराध का पर्थ--वाल अपराधी तथा वयस्क अपराधी मे अत्तर-- बाल अपराध का विस्तार--बाल अपराधो के प्रकार-बाल श्रपराध निरोध--बाल न्यायालय की उत्पत्ति तथा विकास--वाल न्यायालय त्तथा अन्य न्यायालयो में छुलदा-बाल अपराधी का उपयार | सप्तम खण्ड मानव प्रकृति एवं सामूहिक व्यवहार ४१६-४६८ ( प्रणव 'रिन्‍स्‍/फ्ट बात (0९९1९ ए8९७18४10०ग7 ) मानव प्रकृति--( पघप्मात्॥ रण ) पशुप्रो के व्यवहार के आधार पर ! ৬২-৬২ द्रापिज्म और प्रतिक्षेप क्रिया ४२३-४२६ ( वणडया 80৫ [6616 लना ) प्रतिमान प्रतिक्रियाप्रो का अर्थ--द्रापिज्म--द्रापिज्म के सिद्धान्तो की आलोचना-प्रतिक्षेप क्रिया--कार्य प्रणाली--साधारण प्रतिक्षेप क्रिया, अखला-प्रालो बना--प्रतिक्षेप क्रिया तथा ट्रापिम्म में अन्तर । भुल प्रवृतियों छा साधान्य स्वरूप ४३०- ४४२ ( छलाताओं रिशपार ० 19917९5 ) मूल प्रवृति का ग्र्थ--कुझ अन्य विद्वानों द्वारा मूल प्रवृतियों की परिभाषायें--मूल प्रवृति और प्रतिक्षेप क्रिया -मेकडूनल के मूल प्रवृति ज़िद्धान्त की कुछ विश्येपतायें--आलोचना--मुल प्रवृति और बुद्धि का सम्बन्ध 1




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