समाजशास्त्र की रूपरेखा २ | Outline Of Sociology 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
504
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राम बिहारी सिंह - Ram Bihari Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रध्याय पृष्ठ
२२. अपराध ३६३-३६२
{ (ण्ट)
२३
२५.
२६.
अपराधों का वर्गीकरण--झपराध के कारण--अपराधो का नियन््त्रण--
दण्ड का सिद्धान्त -सुधारात्मक सिद्धास्त--अ्पराधी और समाज--
अपराध निरोघ १
दाल श्रपराधं २३६२४१७
( 3978216 79611000620 )
बाल अपराध का पर्थ--वाल अपराधी तथा वयस्क अपराधी मे अत्तर--
बाल अपराध का विस्तार--बाल अपराधो के प्रकार-बाल श्रपराध
निरोध--बाल न्यायालय की उत्पत्ति तथा विकास--वाल न्यायालय
त्तथा अन्य न्यायालयो में छुलदा-बाल अपराधी का उपयार |
सप्तम खण्ड
मानव प्रकृति एवं सामूहिक व्यवहार ४१६-४६८
( प्रणव 'रिन्स्/फ्ट बात (0९९1९ ए8९७18४10०ग7 )
मानव प्रकृति--( पघप्मात्॥ रण )
पशुप्रो के व्यवहार के आधार पर ! ৬২-৬২
द्रापिज्म और प्रतिक्षेप क्रिया ४२३-४२६
( वणडया 80৫ [6616 लना )
प्रतिमान प्रतिक्रियाप्रो का अर्थ--द्रापिज्म--द्रापिज्म के सिद्धान्तो की
आलोचना-प्रतिक्षेप क्रिया--कार्य प्रणाली--साधारण प्रतिक्षेप क्रिया,
अखला-प्रालो बना--प्रतिक्षेप क्रिया तथा ट्रापिम्म में अन्तर ।
भुल प्रवृतियों छा साधान्य स्वरूप ४३०- ४४२
( छलाताओं रिशपार ० 19917९5 )
मूल प्रवृति का ग्र्थ--कुझ अन्य विद्वानों द्वारा मूल प्रवृतियों की
परिभाषायें--मूल प्रवृति और प्रतिक्षेप क्रिया -मेकडूनल के मूल प्रवृति
ज़िद्धान्त की कुछ विश्येपतायें--आलोचना--मुल प्रवृति और बुद्धि का
सम्बन्ध 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...