संस्कृति की राजनीति के विशेष संदर्भ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक अध्ययन | Sanskriti Ki Rajneeti Ke Vishesh Sandarbh Me Rashtriya Swayamsevak Sangh ka Ek Adhyayn
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
126 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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No Information available about राममुरारी चिरवारिया - Rammurari Chirawaria
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना
एक फारसी कहावत है कि इतिहास अतीत का दर्पण है जिसमं हम
वर्तमान के लिए सबक सीखते हे! इतिहास को जानना मनुष्य की अन्य.
स्वाभाविक प्रवृत्तियों मेँ सबसे महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है । उसकं मन क पटल पर
असंख्य प्रश्न उभरते रहते है ओर वह उनकी खोज मे लगा रहता है| मनुष्य
अपनी संस्कृति, सभ्यता या दूसरे शब्दं मेँ कहा जाये तो अपनी पहचान को
लेकर वह बहुत ही जागरूक, सतर्क ओर संवेदनशील रहा हे । यही कारण ই
है कि वह अपने को सबसे पुराना ओर आदि घोषित करे! इसी के चलते
कुछ प्रश्न जेसे कि विश्व की प्राचीनतम संस्कृति ओर सभ्यता कौन सी है,
प्रासंगिक बना हे। यदि वह संस्कृति ओर सभ्यता विश्व मं कहीं विद्यमान है ।
तो क्या अपने मूल या परिवर्तित रूपमे हे [क्या एक ही संस्कृति से विश्व की
अन्य संस्कृति एवं सभ्यताओं का जन्म हुआ है । एेस असंख्य प्रश्न है जिनका
उत्तर आज भी बड़ी तल्खी से खोजा जा रहा है।.
देखा जाये तो समकालीन भारतीय राजनीति में धर्म, नस्ल और
संस्कृति के प्रश्नों को केन्द्रीय मुद्दा बनाने का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को
जाता है। इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चाहे आलोचना की जाये या
: प्रशंसा लेकिन वर्तमान राजनीतिक एजेंडे पर संघ की प्रभावशाली छाप
सुस्पष्ट है जिसके कारण पूरी शजनीति न चाहते हुए भी “सांस्कृतिक
राष्ट्रवाद” के इर्द-गिर्द घूमने को अभिशप्त नजर आने लगी है।
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