बुन्देलखण्ड की आर्थिक समस्याएँ एवं उनका समाधान एक समीक्षात्मक अध्ययन | Bundelkhand Ki Arthic Samasyan Yom Unaka Samadhan Ek Samikshatmak Adhyyan

Bundelkhand Ki Arthic Samasyan Yom Unaka Samadhan Ek Samikshatmak Adhyyan by सीता गुप्ता - Seeta Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ प्रकार कुछ विचारक आर्थिक विकास के साथ कल्याण का भी सम्बन्ध जोड़ते हैं । उनके अनुसार आर्थिक विकास पर विचार करते समय न केवल इस बात पर ही ध्यान कच्रित किया जाना चाहिए कि कितना उत्पादन किया जा रहा है अपितु इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि किस प्रकार उत्पादन किया जा रहा है। अतः आर्थिक विकास का आशय राष्ट्रीय तथा प्रतिव्यविति आय में वृद्धि, जनता के जीवन स्तर में सुधार, अर्थव्यवस्था की संरचना में परिवर्तन, देश की उत्पादन शक्ति में वृद्धि, देशवासियों की मान्यताओं एवं दृष्टिकोण में परिवर्तन तथा मानव विकास से है। विकास को परिमाणात्मक एवं गुणात्मक दोनों पक्षों में देखा जाना चाहिए । इस दृष्टिकोण से संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में दी गई आर्थिक विकास की यह परिभाषा अत्यन्त उपयुक्त है । मानव विकास भौतिक आवश्यकताओं से नहीं अपितु उनके जीवन की सामाजिक दशाओं के सुधार से भी सम्बन्धित है। अतः विकास न केवल आर्थिक वृद्धि ही है, वरन्‌ आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्थागत तथा आर्थिक परिवर्तनों का योग है। তিক विकास की प्रक्रिया : भारत एक अर्द्धविकसित देश है क्योकि हमारे देश में प्राकृतिक संसाधनों का बाहुल्य है, जिसमें विकास की पर्याप्त संभावनायें हैं। हमारे देश में विद्यमान प्राकृतिक साधन, तकनीकी ज्ञान तथा उपक्रम के इन साधनों पर उपयोग नहीं किये जाने के कारण अधिकांश क्षेत्र अविकसित दशा में ही हैं, पर इनके विकास की पर्याप्त संभावनायें हैं। हमारा देश इस समय आर्थिक विकास का प्रयत्न कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप हम इसको विकासशील देश भी कह सकते हे | भारत में प्राकृतिक साधन पर्याप्त मात्रा में है, किन्तु पूजी तथा तकनीकी ज्ञान के अभाव में तथा अन्य कारणों से इन साधनों का देश के विकास के लिए पर्याप्त तथा उचित विदोहन नहीं किया गया। भारत में खनिज तथा शक्ति संसाधनों की पर्याप्तता तो है, लेकिन अभी पूर्ण रूप से उनका विदोहन नहीं हो पाया है| 1. मेहता, जे.के. - “इकोनॉमिक ग्रोथ”, पृ0 47 ६... ^ ९.८




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