मोतीलाल नेहरु | Motilal Nehru

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Motilal Nehru by गौरी शंकर राजहंस - Gauri Shankar Rajhans

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मोतीलाल सक्रिय राजनीति में राजनीति में मोतीलाल शुरू में बड़े बेमन से आए। सन्‌ १८८८ में जब इलाहाबाद में कांग्रेस का अघिवेशन हुआ तो १४०० प्रतिनिधियों की सूची में एक नाम मोतीलाल का भी था। वह इस तरह वर्णित था-''पंडित मोतीलाल, हिन्दू, ब्राहमण, वकील हाई कोर्ट”। दूसरे वर्ष १८८९ में मोतीलाल विषय निर्वाचन समिति में चने गए। दो वर्ष बाद नागपर में होने - वाले कांग्रेस अधिवेशन में वे पन: विषय निर्वाचन समिति के सदस्य चने गए। इसके बाद प्रायः दस वर्षों तक कांग्रेस प्रतिनिधियों की सूची में मोतीलाल का नाम नहीं मिलता है। इन वर्षों में मोतीलाल ने कठोर परिश्रम कर अपनी वकालत जमा ली थी।' इधर मोतीलाल अपनी वकालत में व्यस्त थे, उधर देश में राष्ट्रीय आंदोलन जोर पकड़ रहा था। सारा देश प्लेग, अकाल और राजनीतिक दमन से दुखी हो रहा था। ऐसे समय में भारत में लार्ड एल्गिन के स्थान पर लार्ड कर्जन वायसराय बन कर आए। अब तक आए हुए सभी वायसरायों में ये उम्र में सबसे छोटे थे। साम्राज्यवाद की मनोवृत्ति इनमें कूट-कूट कर भरी थी। इसके पहले वे इंग्लैंण्ड में भारत के उप सचिव भी रह चुके थे। वे भारत की राजनीतिक आकांक्षाओं के कट्टर दुश्मन थे। भारत की राजनीतिक है




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