आनंद की पगंडडिया | Aanand Ki Pagdandiyan

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Aanand Ki Pagdandiyan by जेम्स एलेनके - Jems Elenakeठाकुर कल्याणसिंह -Thakur Kalyan Singh

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जेम्स एलेनके - Jems Elenake

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ठाकुर कल्याणसिंह -Thakur Kalyan Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सत्य आरम्य) दे आया हुआ बिचार मनुष्यके चौीरेतका आरम्भ है । विचार अपनी जड़े मस्तिष्कर्म जमाता है ओर फिर उनके प्रकाशर्की ओर काये और चरितके रूपने ढकेलता है जिससे स्वभाव ओर भाग्य संघटित होते हैं। घृणित, ऋषधान्वित, इंष्यापूर्ण, छोभप्रचुर और अपवित्र विचारोका उत्पादन अनुचित आरम्भ है, जिससे दुःखदायक फल मिते ई प्रेमप्रचुर, नम्न, दयाछु, स्वायेशन्य और पवित्र विचारोका उत्पादन उचित आरम्भ है जिससे आनन्ददायक फल मिलते है । यह नियम बहत दद्ध, सीधा ओर सत्य है । परन्तु मनुष्य इसको अक्सर भूल जति रीर तुच्छ समक्षते है | वह माली--जो जानता है कि सावधानीक॑ साथ कैसे, कब और कहाँ बीज बोया जाय-उक्तम फ& प्राप्त करता ओर वक्षविद्याका अधिकतर ज्ञान सम्पादन करता है । जो उत्तम आरम्भ करता है, उसकी आत्मा उत्तम फसल्से आनन्दित होती है | जो मनुष्य शक्तिमान, उपयोगी और पुण्यमय त्रिचारोंके बीज अपने मस्तिष्कर्म सुप्रकार बोनेकी रीतिका ध्यानपूर्वक अध्ययन करता है, वह जीवनमे सर्वोत्तम फल प्रात्त करता ओर सत्यका अधिकतर ज्ञान संकलित करता है। सर्वोत्तम आनन्द उसीको प्राप्त हाता दै, जो अपने मस्तिष्कर्मे पवित्र और उच्च विचार प्रविष्ट करता है । হয विचरते शद्ध ओर सत्य कार्थ उत्पन हेति है, सत्य- का शुद्ध जीवन लब्ध द्वोता हे ओर झुद्ध जौवनसे सबोनन्द प्राप्त तां & | जो मनुष्य अपने विचार्रीकी बनावट ओर उदेश्यकी ओर व्यान देता है ओर दूषित बिचारोंको बाहर निकालकर उनके स्थानम सदहि- चार्सेको धारण करनेकी प्रतिदिन चेष्टा करता है, वह अन्तम इस ज्ञानको प्राप्त कर लेता है कि उन परिणार्मो और फर्लोके आरम्भ-




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