हिन्दी विश्वकोष | Hindi Vishwakosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52 MB
कुल पष्ठ :
770
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुराण ( खन्द् ) १४
संस्थापन, मद्नारूसमाहात्म्य, भ्र श्लकोश समाख्यान,
-कारचिक्रमासीय दिनरत्व. पञ्चमी'म-बताख्यान ओौर व्रत-
माहात्म्यमें स्वानविधि, पुण्डादिकीत्त न, मालाधारण,
ुण्यपन्चखत्नानयुण्य, चर्टानाद् आदिका फल, नाना-
पुष्प और तुलसीदछाचन फल, नेवेद्यमाहात्म्य, हरि-
, चासरकीत्त न, अखण्डेकादशीपुण्य, जागरणपुण्य, मत्स्यो-
व्सवविधान, नाममाहात्म्यकीत्त न, ध्यानादि पुण्यकथा,
. मधुरामाहात्स्य, मथुरातीथमाहात्म्य, द्वाद्श चनमाहात्म्य,
श्रीमक्धागवतमाहात्म्य, वद्नशारिडिल्यमाहात्म्य, स्नानदान
और जपजन्य फल, जलूदानादि विषय, कामाख्यान, भ्रू त-
देवचरित, ध्याधोपाख्यान, अक्षयातृतीयादिकी कथा और
.विशेषधुण्यकीत्त न, चन्द्रहरि और घम हरि-वर्णन; खण-
वटका उपाख्यान, तिरोदा सस्यृसङ्ग पर सीताङ्कर्ड,
गुप्रदरि, गोप्रचार, दुग्धोद, गुखुकुर्डादि.पञ्चक, घोषा-
कदि दयोद्शतीर्थ, सर्वपापनाशक गयादरूपमाहाम्य,
माएडब्याश्रभप्रमुख तीथ और मासादितीथ इस सबका
वण न है।
( य ब्रहरंडमे ) हे भरीचे । पुण्यप्रद् ब्रह्मखण्ड
हनो । इसके सेत॒मादात्म्यमे स्नान ओर दशं न केका
फल, गालवका तपश्चय, रासक्षाख्यान, चक्रतीर्थांदि-
` ्राहात्म्य, बैताटतीथ.मदिमा, मङ्गादिमाहात्म्य, ब्रह्म-
कुएडादिवण न, हनूमतकुण्डमहिमा, अगस्त्यतीथ फल,
रामतीर्थादिकथन, लक्ष्मीतीथं निरूपण, शङ्कादितीथ -
महिमा, धयुष्कोख्यादिमादाद्म्य, क्षीरङ्कए्डादिकी महिमा,
गायत यादि तीथ माहात्म्य, तत्त्वक्ञानोपदेश, यात्रा
विधान, धर्मारण्यमाहात्म्य, धर्मारण्यसमुद्धव, कमं -
सिद्धिसमास्थान, ऋषपिव'शनिरूपण, अप्सरातीथं का
माहात्म्य, बण জীহ आश्रमका श्रभनिरूपण, देवस्थान-
विभाग, वकुछाक कथा, इन्द्रेश्वरादिमाहात्म्य, द्वार-
कादिनिरूपण, खोहारका आख्यान, गङ्खाङ्कपनिरूपण,
श्रीरामचरित, सत्यमन्दिरिव्णःन, जीणं द्धारकथन, शासन
प्रतिपादन, जातिभेद्कथन, स्परृतिधमं निरूपण, वैष्णव-
धरं कथन, चातुर्मास, सवधम निरूपण, दानप्रशंसा,
' बतमहिमा, तपस्या और पूजाका सच्छिदकथन, प्रकृतिका
मिवास्यान, शालप्रामनिरुषण, तारकवधोपायें, त्पक्षरा-
च नक़हिमा, विष्णु का चुक्षत्वशाप और पाव तीका अज्ु-
नय, हरका तारडवनृत्य, रामंनामनिरूपण, जवनकथाके
निमित्त हूरका टिद्कपतन, पावेतोका जन्म, तारकाचरिते,
, दक्षयज्ञसमासि, द्ादशाक्षरनिरूपण, जन्मयोग समाख्यान
ओर श्रवणादि पुण्य आदि विषय वर्णित हैं।
ब्रद्मखंडके उत्तर भार में--शिवमहिमा, पद्चाक्षरमहिमा,
गोकणमाहात्म्य, शिवरात्रिमहिमा, अदोपन्नत कीत्त न,
समाचारतब्त, सीमन्तिनीकथा, अद्वायुत्पत्तिकथन, सदा-
चारनिरूपण, शिववर्मसमुद्द श, भद्रायुका विवाहवर्णन
भद्रायुमहिमा, भस्ममाहात्म्यकीत्त न, शवराख्यान, उम्र-
माहेश्वरत्रत, रुद्ताक्षमाहात्म्य, रुद्राध्याय और अवणादिक
पुण्य आदि कीचित हुए हैं। , - ~
अव अचुत्तम चतुथे काशीखण्डका विवय कहा जाता
है। इसमें पहले विन्ध्य और नारदका संवाद, सत्य-
छोकप्रभाव, अगस्त्यावासमें ,छुरागमन, पतिव्रताचरित
और तीर्थंचय प्रशंसा, पीछे सप्तपुरी, संयमिनीनिरूपण,
शिवशमकी सूण, चन्द्र और अग्निोकप्राप्ति, अग्निकी
उत्पत्ति, वरुणोत्पति, ग़न्धवती, अलकापुरी और -ईश्वरी-
के समुत्पत्तिकेमसे चन्द्र, बुध, कुज, वृहस्पति ओर सूरय
लोक तथा सप्तपि धुब और तपोलोकका चर्णन, पवित्र
भू वरोक कथा, सत्यलोकवण न, स्कन्द् ओर अग-
स्त्यका आलापन, मणिकणिसमुद्धव,. गङ्गाका प्रभाव,
गङ्गाका सदस्ननाम, वाराणसीप्रशंसा, भैरवाविभव,
ब्रह्मचारी दर्डपाणि ओर . श्नानावापीका . उद्धव.
करावतीका आख्यान, सदाचारनिरूपण आख्यान,
सखीलक्षण, इत्यारत्यनिरदेश, अविमुक्तश्व रदर्ण ना.
शहस्थ और योगियोंका धमकालशान, दिवोदास
कथा, काशीवण न, योगीचर्या, छोलाक' और खल्बाक ४
की कथा, हुपदाक, ताक्ष्याव्य, अरुणाक का, उदय-
दृशाश्वमेधतीथं ख्यान, भन्द्रसे यातायात, पिशाच मोचना-
स्यान, गणेशप्र रण, मायाग्रणपतिका प्रथिवी पर ` মা
भाव विष्णुमायामपञ्च, दिवोदासविमोक्षण, पञ्चनदो-
त्पत्ति, बिन्दुमाधवसम्भव, वैष्णवतीर्थीख्यान, शङ्कि खैर
कौशिकागम, ज्येष्ठे श, जैगीपव्यके साथ संवाद, -केवा-
ख्यान, झुन्दकेश और व्याप्रेश्वरोत्पत्ति, शैलेश, रलेश
और कृत्तिवासका संवाद, देवताओंका अधिष्ठान, दगा.
- सुरका प्रसक्रम, दुर्गाकी थिजय और कारेश वण ल,
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