हिन्दी विश्वकोष | Hindi Vishwakosh

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Hindi Vishwakosh  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुराण ( खन्द्‌ ) १४ संस्थापन, मद्नारूसमाहात्म्य, भ्र श्लकोश समाख्यान, -कारचिक्रमासीय दिनरत्व. पञ्चमी'म-बताख्यान ओौर व्रत- माहात्म्यमें स्वानविधि, पुण्डादिकीत्त न, मालाधारण, ुण्यपन्चखत्नानयुण्य, चर्टानाद्‌ आदिका फल, नाना- पुष्प और तुलसीदछाचन फल, नेवेद्यमाहात्म्य, हरि- , चासरकीत्त न, अखण्डेकादशीपुण्य, जागरणपुण्य, मत्स्यो- व्सवविधान, नाममाहात्म्यकीत्त न, ध्यानादि पुण्यकथा, . मधुरामाहात्स्य, मथुरातीथमाहात्म्य, द्वाद्श चनमाहात्म्य, श्रीमक्धागवतमाहात्म्य, वद्नशारिडिल्यमाहात्म्य, स्नानदान और जपजन्य फल, जलूदानादि विषय, कामाख्यान, भ्रू त- देवचरित, ध्याधोपाख्यान, अक्षयातृतीयादिकी कथा और .विशेषधुण्यकीत्त न, चन्द्रहरि और घम हरि-वर्णन; खण- वटका उपाख्यान, तिरोदा सस्यृसङ्ग पर सीताङ्कर्ड, गुप्रदरि, गोप्रचार, दुग्धोद, गुखुकुर्डादि.पञ्चक, घोषा- कदि दयोद्शतीर्थ, सर्वपापनाशक गयादरूपमाहाम्य, माएडब्याश्रभप्रमुख तीथ और मासादितीथ इस सबका वण न है। ( य ब्रहरंडमे ) हे भरीचे । पुण्यप्रद्‌ ब्रह्मखण्ड हनो । इसके सेत॒मादात्म्यमे स्नान ओर दशं न केका फल, गालवका तपश्चय, रासक्षाख्यान, चक्रतीर्थांदि- ` ्राहात्म्य, बैताटतीथ.मदिमा, मङ्गादिमाहात्म्य, ब्रह्म- कुएडादिवण न, हनूमतकुण्डमहिमा, अगस्त्यतीथ फल, रामतीर्थादिकथन, लक्ष्मीतीथं निरूपण, शङ्कादितीथ - महिमा, धयुष्कोख्यादिमादाद्म्य, क्षीरङ्कए्डादिकी महिमा, गायत यादि तीथ माहात्म्य, तत्त्वक्ञानोपदेश, यात्रा विधान, धर्मारण्यमाहात्म्य, धर्मारण्यसमुद्धव, कमं - सिद्धिसमास्थान, ऋषपिव'शनिरूपण, अप्सरातीथं का माहात्म्य, बण জীহ आश्रमका श्रभनिरूपण, देवस्थान- विभाग, वकुछाक कथा, इन्द्रेश्वरादिमाहात्म्य, द्वार- कादिनिरूपण, खोहारका आख्यान, गङ्खाङ्कपनिरूपण, श्रीरामचरित, सत्यमन्दिरिव्णःन, जीणं द्धारकथन, शासन प्रतिपादन, जातिभेद्कथन, स्परृतिधमं निरूपण, वैष्णव- धरं कथन, चातुर्मास, सवधम निरूपण, दानप्रशंसा, ' बतमहिमा, तपस्या और पूजाका सच्छिदकथन, प्रकृतिका मिवास्यान, शालप्रामनिरुषण, तारकवधोपायें, त्पक्षरा- च नक़हिमा, विष्णु का चुक्षत्वशाप और पाव तीका अज्ु- नय, हरका तारडवनृत्य, रामंनामनिरूपण, जवनकथाके निमित्त हूरका टिद्कपतन, पावेतोका जन्म, तारकाचरिते, , दक्षयज्ञसमासि, द्ादशाक्षरनिरूपण, जन्मयोग समाख्यान ओर श्रवणादि पुण्य आदि विषय वर्णित हैं। ब्रद्मखंडके उत्तर भार में--शिवमहिमा, पद्चाक्षरमहिमा, गोकणमाहात्म्य, शिवरात्रिमहिमा, अदोपन्नत कीत्त न, समाचारतब्त, सीमन्तिनीकथा, अद्वायुत्पत्तिकथन, सदा- चारनिरूपण, शिववर्मसमुद्द श, भद्रायुका विवाहवर्णन भद्रायुमहिमा, भस्ममाहात्म्यकीत्त न, शवराख्यान, उम्र- माहेश्वरत्रत, रुद्ताक्षमाहात्म्य, रुद्राध्याय और अवणादिक पुण्य आदि कीचित हुए हैं। , - ~ अव अचुत्तम चतुथे काशीखण्डका विवय कहा जाता है। इसमें पहले विन्ध्य और नारदका संवाद, सत्य- छोकप्रभाव, अगस्त्यावासमें ,छुरागमन, पतिव्रताचरित और तीर्थंचय प्रशंसा, पीछे सप्तपुरी, संयमिनीनिरूपण, शिवशमकी सूण, चन्द्र और अग्निोकप्राप्ति, अग्निकी उत्पत्ति, वरुणोत्पति, ग़न्धवती, अलकापुरी और -ईश्वरी- के समुत्पत्तिकेमसे चन्द्र, बुध, कुज, वृहस्पति ओर सूरय लोक तथा सप्तपि धुब और तपोलोकका चर्णन, पवित्र भू वरोक कथा, सत्यलोकवण न, स्कन्द्‌ ओर अग- स्त्यका आलापन, मणिकणिसमुद्धव,. गङ्गाका प्रभाव, गङ्गाका सदस्ननाम, वाराणसीप्रशंसा, भैरवाविभव, ब्रह्मचारी दर्डपाणि ओर . श्नानावापीका . उद्धव. करावतीका आख्यान, सदाचारनिरूपण आख्यान, सखीलक्षण, इत्यारत्यनिरदेश, अविमुक्तश्व रदर्ण ना. शहस्थ और योगियोंका धमकालशान, दिवोदास कथा, काशीवण न, योगीचर्या, छोलाक' और खल्बाक ४ की कथा, हुपदाक, ताक्ष्याव्य, अरुणाक का, उदय- दृशाश्वमेधतीथं ख्यान, भन्द्रसे यातायात, पिशाच मोचना- स्यान, गणेशप्र रण, मायाग्रणपतिका प्रथिवी पर ` মা भाव विष्णुमायामपञ्च, दिवोदासविमोक्षण, पञ्चनदो- त्पत्ति, बिन्दुमाधवसम्भव, वैष्णवतीर्थीख्यान, शङ्कि खैर कौशिकागम, ज्येष्ठे श, जैगीपव्यके साथ संवाद, -केवा- ख्यान, झुन्दकेश और व्याप्रेश्वरोत्पत्ति, शैलेश, रलेश और कृत्तिवासका संवाद, देवताओंका अधिष्ठान, दगा. - सुरका प्रसक्रम, दुर्गाकी थिजय और कारेश वण ल,




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